पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७८९

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मुकुन्दराम राय (राजा ;-मुकुरित ६६६ कि उनकी माताका नाम देवकी, उनके दोनों पुत्रोंके | अनन्तर बंदी अयस्थाने १६३६ ६०को वे मारे गये । उन्हों नाम शिवराम तथा पञ्चानन, पुत्रवधूको नाम चित्रलेखा, ने शवृजित्पुर नगर वसाया था । इस प्रदेशमें मा दपुरके कन्याका नाम यशोदा और जामाताका नाम महेश था। स्थापक राजा सीताराम भी चीरता दिपा कर कायस्थ कविने अपने दोनों भाइयों के साथ माणिक दत्त | जातिके गौरवको वढ़ा गये हैं। नामक अध्यापकके निकट सङ्गीत शास्त्रकी शिक्षा मुकुन्दलाल-वाराणसी ( काशी ) के रहनेवाले एक पाई यो । किंवदन्तो है, कि पाथरकुचा-निवासी गोपाल. विख्यात पण्डित । कौलगजमह न, गणेशार्चन बाद चक्रवती नामक एक गायकने ब्राह्मणभूमिकी | चन्द्रिका, गोशलरहस्य, गौतमीयतंवटोका, तन्तसार, राजसभामें सबसे पहले उनके चण्डोकाव्यका गान | तीर्थमञ्जरी, लिफ्टारहस्यटीका, प्रणवान चन्द्रिका, किया था । दामन्यामें कविको हस्तलिग्वित कुछ। प्रायश्चित्तकुतूहल, भैरवीरहस्य, मार्सएदार्चनचन्द्रिका, पुस्तकें इस समय भी सुरक्षित है । उनसे कविका विज्ञानेश्वरकृत मिताक्षराके प्रायश्चित्ताध्यायटोका, याम- शपरिचय. समकालीन सजनोंझा सङ्ग तथा केश्वरतंत्रटोका, शक्तिसङ्गमतन्तटोका, थाइमरो, समय- हामुन्याका माहात्म्य प्रकट होता है। प्रकाश, स्मृतिसार, स्मृत्यर्थसार आदि अनेक प्रथोंकी कुन्दराम राय (राजा) बङ्गालके एक विख्यात हिन्दू ! इन्होंने रचना की है। शासनकर्ता ! ये वारभूयार्मेसे एक थे। फतेहा- मुकुन्दधन-१ स्याम्यानचन्द्रिका प्रणेता, आनन्दवन के गद तथा भूपणामें उनकी जमींदारी थी। ये यंगाली गुरु । यह एक प्रसिद्ध साधु थे। २ महिमतरंगटीकाके कायस्थ थे। गंगाकं दूसरे किनारे फरोदपूरके चरमुकु - रचयिता। श्या नामक स्थान आज भी उनके अस्तिस्यको सूचित : मुकुन्दशर्मन् -१ तलदीपिका नामक तन्त्र नयके प्रणेता। सरना है। अकवरनामा और वादशाहनामा में उनकी २ अमरकोपके लिङ्गानुशासनटीका रचयिता । वीरताका यथेष्ट परिचय दिया गया है । अयुलफजल के मुकुन्दसेन--एक हिंदू राजा । ये मुकुंदविजयके प्रपोता रर्णनसे मालूम होता है, कि फतेहाबादमे सरकारी अफ ! श्रेष्ट पण्डित परमके प्रतिपालक थे । इनके पिताका पान और हिन्दू जमीदारों तथा पुत्तंगोज सरदारोंका। नाम रुद्रसेन और प्रपितामहका चन्द्रसेन था। भाव विस्तृत था । १५७४ ई०में खान बाना मुनाईम । मुकुन्दु (स० पु०) मोचयति विषयान्तरानुरागमिति सम्बरशाहको सेनाका ले कर यङ्गाल तथा उड़ीसा | अन्तर्भूतण्यर्थ मुच का, न्यङ्कादित्वात् सत्यम, तं उन्द. पर आक्रमण करने के लिये अग्रसर हुए थे। उनको । त्याद्रोंकरोतीति उन्द उन्, पृषोदरादित्यात् माधुः । भाशास मुराद एके अधीन एक सैन्यदल पूर्व बङ्गाल- कुन्दुग, कुदरु । २ श्वेत करवी, सफेद कनेर । ३ गंभारी फे दुई जमोदारों को वशमें लानेके लिये गया था। नामक वृक्ष । ४ पोईका साग । भूषणा राज मुकुन्दरायके साथ उसका घोर स'ग्राम मुकुम् (सं० भय० ) १ निर्माण, मोक्ष। २ भक्तिरस । ३ हुआ । हिन्दु-राजने मुसलमान आततायियोंसे वचनेके | प्रेम। मुकुन्द देखो। लिये चतुराईसे उसको निमंत्रण दे कर पुव सहित मार, मुकुर (म. पु० ) मक-( मरददूरी । उग्ण ११४५ ) इत्यत्र साला। थाहुलफादकारस्थाने उकार इत्युयलदतीत उरच । ' उनके पुत्र शत्रुजित्ने मुगल मम्राट जहांगीर वाद- १ दर्पण, आईना । २ वकुलवृक्ष, मौलसिरी । ३कुलाल. शाहक तत्कालीन यंगाल शासनकर्ताको बहुत मताया दण्ड, कुम्हारका वह सा जिसमे यह चाक चलाता है। या । अन्तम काज बादशाहके राज्यकाल में ये ४ कुल्ला , शेरका पेड़ । ५ मटिकापुरक्ष, एक प्रकारका कोचविहार तथा कोचहा कि राजा मार पडयन्तौ । बेला। कोरक, कली। शामिल होने के कारण मुगल सेनापतिमे पराजित हुए। मुकुरित ( स० वि० ) मुकुरः अस्य मातः (तदस्य मंजातं