पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८२७

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७२७ मुगल __-दूसरे दूसरे मुग़ल वंशोंके अधिकृत स्थानोंको अपनानेका | भूपित किया है। हम लोग अब आलतून रूगंको दण्ड देने निश्चय किया। अतएव उसने १२०२-३ ई० में उन सय प्रस्थान करेंगे। पश्चात् मुगलोंने भोजकी पारी को। 'मुग़लोंको जो उसके अधीन हो गये थे युद्ध के लिये __ भोजके बाद ने गिस् ‘गांने गुप्त पपसे मिटाए युलाया। उसका उपदेश सुन सभी उत्तेजित हो उठे। राज्यमें प्रवेश कर तमघाज प्रदेश पर चढ़ाई को। थाल. अनन्तर कुम्ल नामक उसके सौतेले भाईने खप्न सुना तन यां चेगिसके आनेको गावर पा मा वमा हो कर लोगोंको ईश्वरके आगमन, तमुरचिके चेगिस खा गया 1 जय उसकी सेना मारी जाने लगी और नगर लूटा . नाम बदलने तथा उसके साम्राज्य बढ़नेका कारण जाने लगा तब सभी लोग राज्य छोड़ भाग निकले। जो • जताया। इस देवी शक्तिकी कथा सुन, मूर्ण मुग़ : लोग लोग नहीं भाग सके घे कुछ तो शनु भोंके शिकार बने चेगिस् खांके प्रति विशेष अनुराग दिखलाने लगे । इस योर कुछ धन्दी फर लिये गये। मिली मुग़लशक्तिके पल पर चेगिस् तां भन्न भिन्न | गिस इस प्रकार नमघाज, रिंगिट और शधर प्रदेश • स्थानों में अपना साम्राज्य विस्तार करनेमें समर्थ हुआ। पर अधिकार कर खिटाए राज्यको राजधानी तमयाज कहा जाता है कि उस देववाक्यको पालन करने के लिये | नगरमें आ धमका और घेरा दाला । पालतून मां असीम उसको सेनामे अमानुषिक शक्तिका आविर्भाव हुआ था। साहमसे नगरको रक्षा करने लगा। अन्तमें धात्मरक्षामें । इस पलवती सेनाको सहायतासे चेगिस ने पश्चिममें | असमर्थ देख उसने तमघाज गनु कि दाय समर्पण कर गुर खांके राज्यकी सरहदसे ले कर उत्तरमें चीन के दिया। - • पाययत्ती देश तक फैले हुए सम्पूर्ण भूभाग पर अगना चेगिस बांके उत्थान और मुगल सेनाके विजयकी ' आधिपत्य फैला लिया। खबर तमाम फैल गई। स्यारसमके राजा मुल्तान मद- इस प्रकार सारी मुगलशक्तिको हस्तगत कर चेगिस् | म्मदने सधी वातका पता लगाने दून भेजा। राज मूतने • खां पहले अपने घंशके चिरश खिटाए राजाको दण्ड ! राजधानी के पास आ पहाड़के जैसा ऊचा सफेद एफ टोला देने की इच्छासे दलबलके साथ रवाना हुए। विटाप देखा। यह टोला मुगल युद्ध में मारे गये सैनिकोशी हरियों का के राजा आलतून खांने अपनी रक्षार्थ राज्यके प्रवेश- पुंज था । इस राजदूनने राजधानी हार पर जा कर देगा पथ पर उन्हें रोकनेके लिये ३० हजार घुड़सवार तैनात कि दुर्गका द्वार मनुष्यके टहरोन सजा हुभा है। तलाश कर दिये। चेगिस खां खिटाए राज्यके ज्ञात प्रवेश-पथ करने पर मालूम हुआ फि६० हजार पालिकामोंने मुगलो. को शत्रुओंसे रद्ध देख गुप्त राहको तलाश करने लगा।। के प्राससे बचने के लिये आत्महत्याको यो । यद ठट्टरोंकी कहा जाता है, कि उसने जाफर नामके किसी मुसलमान ढेर उसो दुर्घटनाको स्मारक-स्वरूप धी। . . · गुप्तचरको पनियाफे भेषमे गजा थालनके पास भेजा सुलतानका दुत चैंगिम् साफ दरयारमें सादर था। उसने एक गुप्तपथका पता लगा कर चेगिस् खांको बैठागा गया। मुगल-सरदारने नाना प्रकारयो रया जताया। तप चेगिस्ने सभी मुगल-परिवारों को पर्वतके भूपण सुलतानको उपहार दे मित्रताको प्रार्थना की और पास फट्ट होनेको आशा दी। उस आदेशानुसार दोनों राज्योम ये-रोकटोक व्यापार के लिये सन्धि करने. सभी स्त्री-पुरुष मोर मां येटीको पृथक् पृषक खुले सिर का प्रस्ताय लिया। नदनुसारचे गिस् णांक भेजे व्यापारी तीन दिन तक उपवास रहना पड़ा था। खुद चेगिज बा लोग धन रस और ऊंट आदिले सघारमा परचे। 'एक 'पड़गा' (तम्यू) में जा गले। रस्सो लगा ईश्वरकी लेकिन यहां के सुलतानने धन लोभसे उन्हें मरया शाला। 'गाराधनाम प्रवृत्त हुथा । बाहरमें जो लोग सड़े थे वे ईश्वर इस शोचनीय संवादसे में गिसको झोधाग्नि धधक ठी (टिंगार टिंगरी) का नाम लेते हुए जय जयकार कर रहे और उसीसे समूचा ग्रारम राज्य भस्मीभूत होगा। ये। चौथे दिन प्रातःकाट ने गिम् मा तम्वृसे चादर १२१८ में सुलतानको पूरा दण्ड देने लिये, निकल कर बोला कि 'टिंगरी' (ईश्वर) ने मुझे जयमालसे - चीन, तुमितान और तमयाजसे एक बहुत बझी सेना . Vol. xvil 185