पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८२९

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मुगल ... इसके बाद चेगिस् वानदानके राजे अपनेको मम्राट की भोर कालिमक नामक एक बड़े बलयान सम्प्रदायका कहने लगे। इन मुगल राजाओंने दक्षिण चीन जीतनेके वास था। चीन सरहदके पास ये लोग बसे हुए थे। • बाद अन नदी पार कर चुलगारिया और पोलैएडमें मुगल | चाधताई अपनो राजधानी विस्थालीन नगरमें मोर को शासनकी . विजय पताका फहराई । इसके अलावा अपने भाई उक्ताईके साथ काराकोरम नगरमें अपना हनगरों, यस्निया, डाल्मेसिया और साइनेमिया पर समय बिताता था। राज्यससम्बन्धी सामी कार्य करा. माक्रमण करने और भियाना विजय करनेमें प्रवृत्त हो चार ध्यानके हाथमें थे। इस प्रकार मन्त्रोफे. हाय शासन मुगलोंने सम्पूर्ण मिस्तान जगत्को भयमीत कर दिया। रहने के कारण चाघताड़के उत्तराधिकारियों के घोच मनो. इस प्रकार ७० वर्ष गुजरने पर ये लोग आपसमें बिछुड़। मालिन्यका अवसर उपस्थित हुआ। एक शताब्दीके गये। आपसको इस फूटके कारण इन लोगोंका यूरोप यीच राजकुमार लोग आपसमें यिढ़ सिर और मामू साम्राज्य और तो क्या, कोरियासे ले कर एशियाटिक नदीके तौरवत्ती प्रदेशोमि जा बसे। प्रमशः आपसफे समुदतकका सम्पूर्ण साम्राज्य भी सैकड़ों टुकड़ोंमें । विरोधके कारण ये शक्तिहीन हो गये और मन्त्रीयंगने विभक्त हो गया। यूरोपके मध्य केवल रूसमें मुगलोंका घाघताई राजसिंहासन पर अधिकार पाया । चाधताईये आधिपत्य था। चेगिस् खांके चार पुत्रोंसे चार मुगल चंगधर उनके हाथ के पिलौने बन गये थे। राजा माल शालाओंकी उत्पत्ति हुई। इन सब वंशोको सन्तानो धुगा खां १मफे राज्यकाल नक बाधताईके धंशधरोंने को प्रामशः वृद्धि होने पर भी मुगलराज्यों विद्वप अपनी आपसमें अलग हो स्वतन्त्र राज्यको स्थापना न की यो। गोटी न जमा सका। केवल वाघताइवंश मुगल-जातिकी। इस समय चाघताई वंशजोंने दो भागोम विभत दो दो गौरवरक्षा करने में समर्थ हुआ था। स्वाधीन राज्य स्थापित किये । एक राज्य मुगलभूमि चेगिस का निर्दिष्ट चाधताई राज्य प्रधानतः तीन और कासगर प्रदेश तथा दूसरा मायरायन्नाहार प्रदेश. भागों में घटा था। १ सौर और कोसगरसे उत्तरका में स्थापित हुआ। प्रदेश। यह जनशून्य मरुभूमिके समान था। २ कास्. इसके बाद जो सब मुगलराजे हुए ये विलासमें विभोर गर, थारखान्द, सादेन, अफ और तरफान् भादि रहते थे तथा प्रजा पालनकी ओर उनका बिलकुल ध्यान नगरसि सुशोभितदेश। इसका दक्षिण भाग लोगों- नथा। उनके मन्ती लोगो राजकाज चलाते थे। ट्रान्स. ' से भरा और समृद्धिशाली तथा उत्तर भाग मास्थान अपसोनिया प्रदेशमे भराजकताके लक्षण दीप पड़े। घर था। अक्षतेश-नदीके उत्तरी किनारसे दक्षिणमे हिन्दु- झगड़ा हो इस दुरवस्थाका एक मात्र यारण था। उनो कुरा भीर हजारा पर्वतमाला, तासचन्द, समरकन्द, समय तातार लोग भयानक थाढकी तरह देश पर चढ़ बुखारा भार वाल्ख तक उसके राज्य फैला हुआ आये। ऐसे सङ्कटक समय असाधारण शावशाली था। यह भाग उपजाऊ येतोसे भरा और नगरोंसे मुगल गौरव सूर्य तैमूरलंग विपक्षियोंको हरा कर पशिया सुशोभित था। के भाग्याफाश चमक उठा। उसके अभ्युदयस मुगल यायावर नामको स्वदेशमन प्रवल जाति म जाति नये जीशका संचार हुआ। भूमिफै समान प्रथम मागको एफमात अधियासी चेगिसके अच्छे दिनोमै मुगल लोग शान-साध या। ये लोग ५च्छडालभावमें जीवन बिताने थे। कारमें पड़े थे। पासके चीन और तिम्पन प्रचलित दूसरे भागके रहनेवाले सम्प्रदाय भेदसे प्रायः एक बौद्धधर्मके संस्पर्शसे पद्यपि उन्होंने म देशवासियोंको . पानसे दूसरे स्थानको जाते थे और कोई कोई मातृ भाचार-व्यवहारका अनुकरण करना सोसा गा तो मी उन भूमिमें स्थायीरूपसे रहते थे। तीसरे भागो अधिकांश लोगों के मन में धर्मयोज अभी तक योया नहीं गया था। रहनयाले स्थायोमायरी यास करने थे। सय प्रायः चेगिसकी मृत्युवं, बाद मुगल जाति लामधर्म मुगलवंशके थे। इन सब सम्प्रदायोंको छोड़ दक्षिण-पूर्य-- फला। नुपि गा िलएका योगा (शिफचाक-