पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८३२

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मुगल शाहजहांप जासन तथा युद्ध-विभागों में हिन्द मीर; शाहजहांके मायको धुभाती आग और गजेबफे सम्पमें मुसलमान भर्मचारियों और सेनापतियों का समान आदर पधक उठी। और गजेयफे निष्र शासनअत्याचार और समान प्रभाव था इसलिये कोई मम्प्रदाय दुमरेफा पीड़ित भारतफे राजोंने उसके जीते जी ही मुगल. गिपशो नहीं मा। यदि यस दिन्दुलोग मुगल शासनके विराद उठ मुगल साम्राउपके अध:पतनका गीत मम्राट विगम उठ खड़े होते तो दोनों में एकका विनाश । यो दिया। अयश्यम्भागी था। इस कारण उस समयक हिन्दूराज गौरजेयके राज्य काल में दिन्दुओका प्रभाव एक तरह पूर्ण प्रभावशाली मुगदानिके विरुद्ध नहीं खड़े हुए। . मिट गया था। सम्राट हिन्दुओंको काफिर समझ शाहजहांको जेर भेज आलमगीर (औरंगजेय ): उन पर यिभ्यास नहीं करते थे। अकयरके शासनकालमें दिलीफे तरल पर बैठा । उसका हिन्दुअफि प्रति दस, मानसिंह, जयसिंह भादि जो हिन्द्र पौरष्ट अत्यन्त हिन्दुओं पर जिजिया नामक नया कर लगाना, .. " सम्मानित तथा उच्च उपाधियोंसे विभूषित हुए थे और दाक्षिणात्य अभियानमें अनेक राजाओंको सताना, जिन्होंने मुगल राज पताका भारतमें फहराई थी ये सब दिन्तुनि रस्लाम कयूल करवानेको चेटः इत्यादि अनेक हिन्द वीर गोर गजेयको दृष्टि में निकम्मे अँचते थे। धर्म फारणोंसे हिन्दुगीका मुगलो प्रति हेप स्वभावतः जाग विद्वपके कारण और गजेय हिन्दुओंके हाथ शासनकी उठा। शाहजहांने प्रजाके खून चूम भोर अपघ्ययसे पागोर देना उचित नहीं समझता था, हिन्दूमात उसके जिस ज्ञातीय द्वेषाग्निको मुलगा दिया था, और गजेयने अप्रिय तथा घृणाके पात्र थे। इस छपके कारण गोरंग. जिजिया पेठा कर मानो उस अग्निमें इंधन डाल दिया। जैव हिन्दू मधाग भारतमें हिन्दुओं के प्रति सहानुभूति छोड़ मुसलमानोंफा पृष्ठपोषक हो गया । अतपय अपमानित हिन्दू राजाने भी मुगल साम्राज्यको नए कर

  • किसी किसी मुसलमान ऐतिहासिकका कहना है, कि

दालनेका निश्चय किया। इस जिजिया करका तगाना युक्ति-मंगत या । कुरानके मतानुगार मद्यपान और मूर्तिपूजन निषिद है। कहर मुसनमान भाजमगीर ___ औरजेवफे समयमै मुसुलमानोको प्रधानता बाद- हिन्दुओंके प्रति इन सरका निषेध न परफे इनके बदले कर जाहसे स्योरत होनेसे राज्य मरमें मुसलमानोंका गाव बढ़ गया । मामशः स्वजाति विपति नगा उन्हें छुटकारा दिया था। उसकी तीक्ष्ण दृष्टिसे कोई भी धधक ओ। जो मुसलमान (मुगल) सेनापति मी रमा नहीं पा सकता य । जो कोई मुमतमान शराब पीता) औरङ्गजेयके दौदण्ड प्रतापसे मीत हो उसके उसे उगी समय पर मिलता था । किन्तु जिजिया देषाले। हिन्दूफे पर फोई परोड़ान भा। गुमनमान ऐतिहासिक यह भी समयमें विपरीत माल नहीं चल सफे थे, ये लोग कहते हैं, कि मुगान-पादमाइ औरग्मय यथार्थमें हिन्दूदगो नहीं। उसकी मृत्यु के बाद ही घन-लोभसे उसके वंशधरीको पा। उसको स्वधर्म-प्रीतिने ही उसे बदनाम बना दिया मार मार भगाने के लिये तैयार हो गये। इसी समय मुगल मायरसाद सचमुन हिद-द्वपी था। उसका बनाया जा साम्राज्यको मिट्टी मिला देनेवाला सेनापति जुलमि इस सातका पादय देता है। अपने हिन्दू हाय मिल कर विने कार सांका माधिमाय हुमा । चलफिकारने राजकुमारों . राज्याधिकारप्रसंग प्रयञ्चमा और स्मार्थपरताका जैसा हिन्दूको मुमानमान मनाया गा, यह मगन हिन्दू रामम नहीं सका।। राजपूत कन्यागे विवाह कर या उसने हिन्दुको जाति सेनेको परिचय दिया था, यह इतिहास पाटकोप छिपा नहीं है। पैरा नहीं की ? मोरगेर मुसभमान था, इसलिप अपने इसमाम प्रत्येक मालिका उत्थान गौर पतन अ गायो धर्मका पालन करना उगका कम्य या । उसने हिन्दु मुगल है। यति विशेषको प्रतिमा और याहुस्लो मात्राज्यका मानों में पता दिलाने के लिये भिन्न भिन्न परिच्छादि मी मंगठन होता है। फिर उस राजयंगमे प्रतिमा मौर बल. नि कर दियं थे। । के हास या ममाय होनेमे रासनि. हिम्न हो जाती है।