मुगल
माता था। फलतः दाक्षिणात्यको युरो हालत गुजरो। यहा। माते समय यह सपने पिताश मिल हुसेन अली .
घर गजपूतों और मिपाकर मुगलों के प्रति मोह बढ़ता! मां (विहारका शासक मौर मेयद भवदुल्ला nt
हो गया। मिको तलवारके आगे मुगल सिंहासन (इलाहाबादया मासक) नामफे दो सैयद भाइयोंसे
कांप उठा।
यह मिला। उसने दोनों भाइयोंसे सहायना मांगी इस .
यहादुरगाइने सिपनोंको उद्दण्डतास धवदा कर
प्रकार संयुक्त सेना मागे बढ़ी। इलाहाबादके पास
गजों में सन्धि गार ली। अभ्यर, योधपुर और उदयपुर-
दोनों पक्षों में युद्ध हुमा । जुफिकर और जहान्दार हार
के माध सन्धि हुई। राह मायने लिपाकिसन्धि सा कर भाग चला। गृद्ध मन्ती जुलफिकरने जब देगा
फे परिणामस्सप पावरका सिंहासन घुलमें मिल )
कि जहान्दारफी माग्य-लक्ष्मो भय जाने पर है, तब उसने
गया और मुगलशादी पागदानके गडीको ले मराठे! भाची सम्राटको रुपा पानेके लिपे कपटी सम्राटको बन्दी
लोग मुगल साम्राज्यफे अधिशा भागको हडप जानेमें फर लिया । गुनासकार भार जहान्दार दो।।
गार्थ दुप। यहादुरशाह देती।
__फमियर पादशाद हो दोनों सैपद भाइयों को
उच पद पर सम्मानित किया । हुसेन वाली
मुगी मान सिपात्र विद्रोहको दयाया। उसकी
मीर पप्ती और अदुलापां बजोर पनाये गये।
मृत्युके बाद मन्त्री पो लिये थियाद उठा। जुलफि-
कर नि शामकका पद छोड़ मन्त्रो होना स्वीकार नहीं।
शासनको तालो सैयद भाइयों के हाथ रहो । ये
किया। इस पर मादनादा अजीम उस्मान खुद सेकार्य
पास्तव, राजशक्तिके मालिक पने और यायशाद फेयल ,
राजसम्पत्तिका भागो रक्षा। .
चलाने लगा। लेकिन गाहजादा कार्यपटु नहीं था।
...
राज्य में भारी गहयसो मची। मुन्नो लोग धागो हुए और
इस समय बङ्गालका काजी गोरजुम्ला यापशाहका
रामपूतों, जाट और सिपखोंफे उत्थानसे मुगल शक्तिका
प्रियपात्र हुआ | मीरजलाके शादेशानुसार हुसेन
आन्त सा दोसने लगा । यहादुरशाहका शासम्बर और
अलीने योधपुरफे राजा अजिस्मिदो विद्या मुगल
सेनाको सञ्चालित किया । इससे वजीर यदुलाफे स्वार्थ
दान भी मुगलोंके अधःपतनका एक कारण था।
में धया पहुंचा। अतएव यह मौरजाफे यियद उठ
यहादुर शाहको मृत्युके याद हाराजाना शुरू हुई।
पड़ा हुआ। लेकिन अधिकांश उमरा और स्वयं पाद
तव यक्षिणात्यफे शक्तिशाली चलफिकर बांकी सदा-
शाहने मोरजुमाका पक्ष लिया जिससे उसका मतलपन
पनास मादजादा जहान्दार पितायी राजगहों पर बैठा।
संघ सका। यह दरवारको रश देख कर, तार।
शनाताफै फलस्यरूप जुलफिकरको मन्त्रीपद मिला
गया कि अब हम लोगोंको नीचे गिरना जरूर है। मपने
और दाउद गां दाक्षिणात्यका प्रतिनिधि बनाया गया।
भाईको दिल्लीम घुलानेगे सिवा दुसरा उपाय न देशा इसने
शुलफिकर पिता आसरु ग्याको धकौल- मुतालकको
शीघ्र उसे पल लिग्न भेजा।
उपाधि मिली थी।
राजपूताने में सन्धि फर हुमेन चलो दिल्ली लौटा।
जहान्दार विलासो, दुश्चरित्र पार कर्तब्य यिमुष तय शासनको शागरफे लिये विरोध पैदा भा। पहले
शा! मालकुमारी नामक एक कुलटा प्रणयगे मासक्त दलमे गधिनेता हमे जली प्रां और दूसरे दलके
हो यह राज्यका से अलग रहा करता था। उसके ।
अगुमा मौरजुम्लाको दूर भेज देना उचित समझा गया।
मामा-काल भत्याचार र व्यभिचार चरमसीमा!
उस युनिके अनुसार मोरजुम्ला बिहार का भीर हुसेन
तक पहुंच गया था।
दाक्षिणात्यका नासर बनाया गया।
___उम मम जोम उस्मानका लरका फर्गसिपर बादशाहको आमासे फिर मांक मारे जाने पर,
यहाल था। यह सिंदामन लेने की दास जहान्दार.! उमझा प्रतिनिधि नाद ना हो दानिगाहपका शासक
के. रामत्यपं. तोमरे मदीना बहाल छोड़ दिल्लीको भोर हुमा। हुसेन मलो दाक्षिणात्य पहुंगा मार बादशाहो ,
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८३४
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