पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८४९

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पुजफ्फरनगर-मुजफ्फरपुर ७५६ शहर तथा ६१३ गांय लगते हैं। इसका मुख्य शहर तहसील या सबडिविजन । यह ५ परगनों में विभक्त है। मुजफ्फर नगर है। इसका रकबा १६६६ वर्गमील और इसका रकवा ४६४ वर्गमील है । इसमें १३ दीवानी और आधादी प्रायः लाख है। फौजदारी अदालत हैं। गङ्गा गौर सिन्धु इस तहसील यह जिला गंगा यमुनाफे किनारेके उत्तर भागमे । हो कर बहती हैं। इसके अलावा इस तहसील में बहुतसी अवस्थित है। जमीन पंकसे भरी है। पोचका हिस्सा नहर हैं। इसमें ५ पुलिस शने हैं। कुछ अंचा है। हिन्दन और काली नदी इसको तीन ३ उक्त मिलेका प्रधान नगर ! यह अक्षा० २६२८ भागों में विभक्त करती है। जिस भाग हो कर गंगा 30 और देशा० ७७ ४१ पू०के बीच मीरटसे करको यहती है उस नीची जमीनको म्यादर कहते हैं। इस जिले । हरद्वार जानेवाली प्रधान सड़क पर अवस्थित है। की दलदल भूमिमें किसी प्रकारको खेती नहीं होती, पर इसकी आवादी प्रायः २५००० है । यह नोर्थ वेष्ट- ऊंची जमीन बड़ी उपजाऊ है। रेलयेका स्टेशन है। शाहजहांके शासनकाल में मुजफ्फर यमुना और हिन्दनके मध्यवती विभागमें यमुनाको मां पानखानाके एफ लड़केने १६३३ ई०में इस शहरको नहर रहनेफे कारण खेतोम बडो सुविधा हुई है। यमुना वमाया था। पहले यह स्थान पड़ा अस्यास्थ्यकर था, अब के किनारेका भूभाग 'ढाक' वृक्षके जंगलसे भरा है। कुछ अच्छा हुआ है। कृषिको पैदवारको छोड़ यहां दूसरे किम्बदन्ती है, कि मुजफ्फर नगर पहले पाण्डवोंका व्यवसायको चलती नहीं है । कम्बलका व्यवसाय जोरों राज्य था तथा मोरटके पास ही हस्तिनापुरका वसहर होता है। प्रतिवर्ष मार्चमें यहां घोड़े की हाट लगती मिलता था। उसके बाद दिल्ली-सम्राट पृथ्वीराज है। यहां एक हाई स्कूल, एक तहसीली स्कूल और एक चौहानने इस पर अधिकार किया। ग्राह्मण और राजपूत कन्या-पाठशाला हैं । यहांके प्रधान अधिषासी थे। ई०सनको १३यों शताम्दी- मुजफ्फरपुर-विहार प्रदेशके तिरहुत डिविजनका एक में यहां मुसलमानी शासनने जड़ पकड़ा था। जिला । यह अक्षा० २५ २६ और २६५३ उ० और दिल्लीके बादशाहोंके अघोन शासक लोग यहांका शासन देशा० ८४° ५३ और ८५°५० पृ०के बीच विस्तृत है। करते थे। उस समय जार लोग यहांके प्रधान अधि. इसके उत्तरमें नेपाल, पूवमें दरभंगा, दक्षिणमें गङ्गानदी वासी थे। आज भी ये ही लोग इस स्थानमें शक्तिशाली तथा पश्चिम चम्पारण और गण्डक नदी हैं। इस माने जाते है । उसके बाद गुर्जर लोग यहां मा कर धस जिलेका प्रधान नगर मुजपारपुर है। इसमें ४ शहर तथा गये। मुसलमानी शासनके प्रारम्भसे शेख सैयद, ४१२० गांव लगते हैं। यह उत्तरसे दक्षिण ९५ मील पठान कहलाने वाले लोग यहां रहते हैं। . और पूरवसे पश्चिम ४८ मील है । इसका क्षेत्रफल ३०३५ . १३६६ ई० में तैमूरने यहां आ कर बड़ी निष्ठुरतासे । पर्गमोल और आवादी २७ लाखसे अधिक है। असंख्य मनुष्यों को मरवा डाला | अकवरके राजस्व एक समय मुजफ्फरपुर पटना खिचिजनका एक जिला फालमें यह जिला सहारनपुर सरकारके अन्दर था। था। १८७४ ई० में पूर्व तिरहुत जिला दरभंगा और मुज- ई० सनको १७त्री शताब्दीम वाढाका सैयदवंश प्रवल | फ्फरपुर दो जिलाओंमें विभक्त किया गया था । हो उठा। दिल्ली में सैयदवंश के शासनकालमें १३५० यह जिला बागमती और बूढ़ी गएडक नदी द्वारा ६०को इस के प्रतिष्टताने यहां अपनी प्रधानता | प्रधानतः तीन भागों में विभक्त है। प्रथम भाग यूदी स्थापित की। .. गएडकके दाहिने किनारे हाजीपुर सब डिविजन है। १४१४ ई०में सुलतान खिजर खाने सैयद सलीम इस सब-डिविजनमें अफीम; नील और तम्बाकू बहुतायतसे को सहारनपुरका शासनमार मौंपा। उस ममयसे होते हैं। मध्यमाग घूढ़ी गएडक और यागमतीका मध्य- उसके वंशधर उत्तरोत्तर शक्ति बढ़ाते.आ रहे हैं। वत्ती स्थान है। इस विभागकी भूमि पंकमय है तथा - २ मुजफ्फरनगर जिलेके उत्तर-पश्चिम विभागको । इसके अधिकांश भागमे धान लगता है। मार भाग को