पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८५७

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मुला-मुएनक ७६५ ५.मर फिर पीहेको ओर चल पटना। ये दोनों देवी भगवतीफे साथ लड़ने लगे। दोनों ही ५ वा मपया नापं घूम जाना, चलते चलते मगपतीके हाथोंसे मारे गये। बएड और मुएड-बध मोइसरो मोर फिर जागा। मेंहना देगो।। फरनेके कारण ही भगवतीका. चामुण्डा नाम पड़ा है। ( विe ) मुए, बिना पालयाला (चएको ) ३ राहुबह । ( मेदिनी) कि किसीको मगने में प्रवृत्त करना, मएडमण्डनं जीविकावेना मुण्ड मुण्डनं जीविकात्वेनास्पस्य भन्। ४ नापित, में दाल या रोएं दूर करना। २ मुंगाना देशो। हजाम। मुण्डन करना ही इनकी ओयिका है, इसोसे रतो ( है कि पारीको धोयारका सिरा, ना मुण्ड नाम हुआ है। ji| २ यह पार्य जिधर सिर हो, मिरहाना मुएडन स्कन्धायच्छे दे मुण्डनमस्त्यस्य अच। पावं जिधर किसी पदार्थ का सिरा माया ५ स्थाणुपक्ष, यक्षका हूँ।.६ गरदनके ऊपरका अला सो भाग हो। । जिसमें फेश, मस्तक, आंग, मुंह आदि होते हैं, सिर । को-भाग्माडपदेशके दक्षिण कनाला जिलातर्गत करा हुमा सिर। ८ दोल नामक गन्धद्रव्य । ६ एक तिमन नगर। यद अशा० १३४१.३० तपा; उपनिषदका नाम। १० मण्डूर । ११ गायोंके समूहका ६०५५३३० पू०के मध्य मयस्थित है। प्राचीन मण्डल। १२ मा, मस्तक। (लि.) १३ मुण्डित. राउने यहाँ जैनों का प्रभाव बढ़ा चढ़ा था। बाज मो मुदा हुमा। १४ अधम, नीच। पर मनापशेर और घासोंसे ढके हुए टूटे फूटे मुण्डक (सक्लो० ) मुण्डमेयेति मुण्ड-स्यायें कन् । १ कान देखने में मालूम होता है, कि एक समय यह समृद्धि मस्तक, सिर । २ उपनिषयिशेष, मुएटकीप-निषद् । शन्दों नगर था। आज भी यहां १८ जनशैल (पगोड़ा) (पु.) मुण्डयतोति मुहि प्युल । ३ नापित, हजाम (जाबतीत कोसिका परिचय देते हैं। इन सब शेल. मुण्डकिह (सपु० ) मुएलोहमेद, मंडूर। . नाम पदस शिलालेख उत्कीर्ण है जो प्राचीन जैन , मुण्डनाम-नेपाल अन्तर्गत एक गांवका नाम । सिसके उम्पल दयारत-स्वरूप है। 'मुएडवणक (सं० पु० ) मुण्डो मुण्डित इव चणकः । १ ... पनि देयमन्दिरके अलावा गुरु गएर तीर्थ का . कलाय, उद। २ पृहपणक, पड़ा चना । ममय देवचरयर और पुरोहितोंका समाधि मंदिर मएडधान्य (सलो० ) धान्यविशेष । मुपशास्ति देखो। संशयक। - मुण्डन (सं० क्लो०) मुण्ड-ल्युट् । १ फेशच्छेदन, सिरको ४१८० पु० ) १ वियोंको साझोपा चादरका यह , उस्तरेसे अनेको किया । पर्याय-भद्रकरण, वपन, रोग जो टोक सिर पर रहता है। परिघापन, क्षीर। साना १६० कि.मुन करना, महाना। "प्रातुरस्य हितं वाक्य भणु धर्मश सत्तम । सहपा (हि.पु.) १ वह जिसका सिर मड़ा हुमा हो।। दण्ड एव हि राजेन्द्र ! धर्मो न मुपदनम् ।।" __ ( भार० १२१२३४६) प्रयागमे मस्तक मुंडा कर जो मरता है उसे मुक्ति १० पु.) मुण्डन मुण्डा केशापनयन महिएडने होती है। वता मर्श आदित्यादच । १घोजराज प्रयागे मुबहन चैव परं निर्वाणकारणम् ॥" (पञ्चमा० २११४) पत्यका नाम । (हरियश भविध्यप० २३२२) २ द्विजातियोंके १६ संस्कारों में से एक। यह वाल्या. सनापति एक दैत्यका नाम। चएड और वस्या यष्ठोपवीतसे पहले होता है और इसमें पाळकका नामक शुम्मकै दो सेनापति थे। दोनों ही प्रायः सिर मखा जाता है। करत थे। जब भगवती दुर्गाके साथ | मण्डनक (सपु०)१ शालिधान्यमेद, बोरा धान । २ तक धूम्रलोचन-अधके वाद शुम्भको आकासे मत घयक्ष, सफेद परगदका पेड़। २एक प्रकारको मछलो। मुरा (हि.पु. ) मुंडरा देखा। मुएड (सं० पुर) मुण्डन भावे धन ततः अर्श आदिर सेनापति एक दैत्यशा नाम !( मिलकर लड़ा करते थे। · यु आ, तब धूम्रलोचन-वध Vol. xvu, 182