पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

८० पहम्मद-इ-बस्तियार-महम्पद इसाद विहार प्रदेशको जीता। इस समय इनके सदगुणों तथा : दूसरे पप यन्तियारने फिरसे विदारको टूट कर ' इनकी सेनाओंको सुदक्षताका समाचार सुल्तान फतुयु- मदिया नगरको भोर कदम बढ़ाया। नगरवामि इन्हें होनेके कानों में पहुंचा। मुन्तान फतुयुद्दीनने यस्ति- आततायो विलफल न समझ सके। ये छमग मत्र पारका राजोचित सम्मान किया दिल्लीश्वरसे इस प्रकार | व्यवसायी बन कर फेयल अठारह मनुष्योंके साप नगरमें अपनेको सम्मानित दुप देख पनियारने विहारको राजा घुसे थे। भवशिष्ट सेना पास ही कदी छिप रही थी। धानी लूटी। इस समय अनेक निरीह ब्राह्मण विजेता श्यामिफपके बहाने से लोग राममासादमै उपस्थित '. मुसलमानके हाथमे सतापे गये और यमपुर सिधारे थे। हुए। इस समय मध्याहकालमें सब को भोजन करने में .. यिहार लूट कर महम्मदको जो कुछ धन हाथ लगा एयस्त थे। स्वयं राजा भी भोजन कर रहे थे। रागाने उसे उन्होंने कुतुबुद्दीनको भेंट किया। सुलतानने उनकी । मुसलमानोंका इस प्रकार हठात् मागमण सममें मो नहीं संप्रभुनिसे प्रसन्न हो उन्हें फिरसे राजपरिच्छदादि । सोचा था। निरोह द्वारपालक भाततायी मुसलमानोंके । देकर सम्मानित किया था। इसके बाद यहिपारने हायसे यमपुर सिधारे। राजप्रासादमें वातको बातमें . विहारको पाला को। फुहराम मच गया, ययनोंसे न जानेके भपसे राजा इस समय बङ्गालमें सेनयंशीय राजा लक्ष्मणसेन अन्तापुरके रास्ते बाहर निकल गये। कोई को कहते राग्य करते थे। लक्ष्मणायती पा गोदनगरमें उनकी कि यस लक्ष्मणसेन जगन्नाथधाम भार उनके गधर- राजधानी थी। पृद्ध राजा मुसलमानोंके ऐसे अमा- गण विक्रमपुर भाग गये थे। गन्द्रदीप राभयंग देखो। . . नुपिक अत्याचारसे बाद मर्माहत हो गये। पीछे फिर ___महम्मद यमितयारकी सेनामे मा मगरको थे । कहीं ग्रह्महत्या न हो, यह पर उन्हें सदैव धना रहा। लिया। लक्ष्मणापतो उन्होंने अपनी राजधानी बसर्ग। कामरूप, या लक्षणायती और विहार प्रदेशमें मुसल.. इनफे नाम पर यहाँ ग्युनया पाठ तथा सिमा साटने लगा। मामोंके अत्याचार-भयसे कांपने लगा। इनफे पत्नसे ममशः गसजिद तथा विद्यालयको भी ... मुसलमानी इतिहास पढ़नेसे ज्ञात होता है कि दियामें राजा लक्ष्मणसेनकी राजधानो थो। इतिहास फाप पाद इन्होंने कोच तथा मेच मातिको हराया। कारोफे दिसावसे अगर इनका राजत्यकाल ८० प लिया। पोरे ताकिस्तान तथा चीनको जीत कर नेपाल होए माय तो इनके जन्मकाल तथा सेन यंशधरफि शासन, पेफिर लमणायतो लौटे। सरकात नासिरी' पदने . कालमें बहुत फर्क पर जाता है। इसी भ्रमको दूर करनेके से मालम होता कि इन्होंने भूटान, माल मादि... लिपे किसी किसीने राजा लक्ष्मणसेनको आसन्म राजा स्थानोंको जीत समुदतीर तापापा मारा पा । भग्नमें भर्यात् सूतिकागृसे ही राजा मान लिया है। जो हो कामरूप पर माममण करके ममय इन्दन कर यथार्य में इन्होंने अस्सी पर्षको अवस्या तक राज्य मेस्टना पड़ा था। इस समय गुद महम्मरमा पत. किया था। मो सेनाने नदीम य फर प्राय गपाई। 'रामा लक्ष्मणसेनगे यख्तियारफे माल मानेको सदर ___ 'परदेव देतो। सुग फर ज्योतिपियोंसे पुरका फलाफल पूजा । ज्योति- 1 महामदामाद-(फक किमोनो मामा ) मुसलमान पियोंने कहा कि, 'भपिप्यमें तुर्फ दो यहाँफे रासा होंगे। हाकिम भार कपि। मिरारा मादगुजा राममा भातमें बहुत यादरियाद के बाद पदी निश्यप हुआ, कि (१३१०) में ये विधमान थे। हाल मिमवा.. विना लदाईके बहाल मुकीको समर्पण करना हो मच्छा। 4 दिसया, मुनिस-उस मामार, मसनयि-कतिष, महवन है। मा यहाँ ग्राह्मण तथा मपपर हिन्न जातियोंने कामरूप, जगाय और पङ्गालके मन्यान्य हिस्सों में माग नामा, मेनात मामा नपा पत्र प्रभृति काय लिने पर माप लिपा। किन्तु पर लक्ष्मणसेन ऐसा करना । कपिपर भादो मार दौलतमाद के लिये अनुमार, निस गहों लादने । . १९७१ में इनको मूरपुर। किन्तु मपरापर वाले . .