पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८८

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महम्मद इब्न पशावद-माम्मद कासिम कर सैन्य संचालन करते थे। दुम है कि आल्हाया। राज्यकालमें वासराके राजा दिसात मिन् युसुमने दुर्गका निर्माण ये शेरम कर सके। उनको मृत्युके बाद ७०६६०में मेकोन शीतने के लिये महम्मर दुसेनको दस- परयत्ती मूरराज •युसुफ अयुल दाजीने इसे समाप्त यलके साप मेता। मेजोन पर अधिकार कर पहा हो , किया। पलूची जातिशे को इस्लामय पाने के बाद राहोंने । महम्मद इयन मशाउद-एफ मुसलमान फपि। इनका फिरसे अपने सेनापति युमिन को देवल सार (पत्त । पनाया हुआ अन्य 'जिनात उत-जमान' देखने में आता है। मान उपदेश ) पर भधिकार करने मेजा। हिन्दूराक्षाने महम्मद करीम-मुगल-सम्राट् वहादुर शाहफे पीत तथा युसमें पुषभिनको मार माला, परन्तु तर मी हिमाल युवराज भाजिम उम्सानके पुत्र । १७१२ ई० इनके हताश न हुए और फिरसे लदाांकी नैयारी करने लगे। चचा सम्राट जहांदार शाइने इनका काम तमाम किया। तदनुसार १२६०में उनके भाई बोल सकफीके पुर महम्मद काजीम ( मिर्जा )-एक मुसलमान ऐतिहासिक इमाद उदोन महम्मद बिन कासिमने हमार सेनामा सम्राट मालमगीरफे मुंगी, मिर्जा महम्मद अमीनके | के साथ यल पर चढ़ाई कर दी। युतमें देपलका मा .' पुत्र । इनने 'आलमगीर-नामा' अपनी पुस्तकमें सम्राट् | दादिर मारा गया और राज्य गुमलमानों के हाथ लगा। थालमगीरफे राजत्यकालफे दश वर्ष का हाल वर्णन | । महम्मद बिन कासिमफे याद सिम्पप्रदेशके गामा किया है। १६८६ में उक्त अन्य समाप्त कर इन्होंने हुए भनसारोफे पंधर। अनन्तर लगभग ५ सौ पर, दिल्लीयरको मेंट किया । इस पर समारने उन्हें तक सुमारके रामोंने पहांका शासन किया। सुमाग्यश- तथा गौर दूसरे दूसरे ऐतिहासिकोको भपनी झोपनी | का अधःपतन होगे पर मुमनावंशीय 'जाम' उपापि. लिपनेसे मना कर दिया। इस प्रन्यफे सिवा उन्होंने धारी क्षत्रियोंने सिन्धुपदेशको बागोर अपने हाथ स्टौ।। मधम्मद शाहनामा, रोजनामा और भग्यवरहसनिया इसी समय गोरी, गानो सपा दिल्ली पठामोंने सिग्य नामक तीन अन्योंकी भी रचना की थी। पर भाममण किया। इस प्रकार पार पाय एक गुमल- महम्मद फाला--गुजरातके प्रसिद्ध सुलतान महम्मद मानोंक माफमण मिल्धुराय उगामा हो गया। पिगाराम पुत्र । इनकी माताका नाग रानी रुपमरी मुसलमानौने सिम्यक सिपाप गौर भी कामको या। अमावादफे माणिकचकमें अभी भी रानी रूप. जीता मौर उन स्थानों शासन करने के लिये शासक मजरोका मकबरा मौजूद है। नियुक्त कर दिया। इन मासकों में महम्मद कामिम गी महम्मद कासिम-'फरयण सूररी' नामक पारसी मभि- एक थे। पानसे प्रणेता। इनके पिताका नाम प्रसिय फपि. हाजी तु मासिक सपा शाह पुदीन महम्मदगोरोक महम्मद सुरूरी काशनी था। होने १४६६ में उस झोतदाम । उपरोना गोरोराको मागामे १९०३ में अन्य समाप्त कर परसिपाके रामाशाह समास पहादुर पे उच्च (या मुलान)- नामक गियुगए। सांके फरकमलों में समर्पण किया। इन्होंने दिल्ली पठान-राजप्रतिनिधि गुल्नान अन्तः महम्मद कासिम-सिन्धप्रदेश पफ मुसलमान शासग युरोन माइकको कम्पासे पियाद किया । १२१० का। पेगासियदीन कर पा फत्ता मामसे प्रसिमम ममुरफे मरने पर धोने भागे गढपनी सिम्य थे। सिग्ध इनके शासनकालका प्ररत इतिहास मदी! के कई प्रदेशों पर अधिकार समापा मार सुममा. मिलता। समसाधारणके यादगारसे लिपे कहो सिन्धः राज्ञयाकी गामि गूर शूर पर महमद कागिम पोरे पोरे. मरेशके प्राचीन मुसलमाफेि शासनकालकी घरगाप! .स्पति हो उठे। मग्न दिन्नौके पठान राम की पूलसेत-उन हिकायस, दालनामा तथा हामी महम्मदक। मपीनना तोद करने परेको पर प राहा , इतिहाससे उसत की गई है। पोषित कर दिया। रासा पलीमा भातुन मालिक पुत्र पसीद भी पोरे मिष, गुस्तान, फोरम त तो