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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


तिरछी दृष्टि से और यथा-सम्भव, क्रोध भरे नेत्रों से देसना उचित नहीं है। जिन लोगो की दृष्टि मंद होती है ये कभी कभी दूसरों की ओर देखते हुए भी यथार्थ में उनको कुछ दूरी पर देख नहीं सकते। इसलिये यदि ऐसे लोग आँखें मिलाने पर भी कुछ न बोलें तो इसे उनका दोष न समझना चाहिये और स्वयं उनसे बात-चीत आरम्भ कर देना चाहिये।

(९) स्वाभाविक क्रियाओं में

जॅभाई लेते समय मुँह को हाथ से ढंक लेना चाहिये जिसमे दूसरो को बाये हुए मुंँह का विचित्र दृश्य न देख पड़े और उस पर इस क्रिया का प्रभाव भी न पड़े। बड़े लोगो के जॅभाई लेने पर चापलूस लोग बहुधा चुटकियां बजाते है । यद्यपि बड़े लोगो के सम्बन्ध से यह काम निन्दनीय समझा जाता है तथापि छोटे बच्चों के जॅभाई लेने पर चुटकियां बजाना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इससे उनका ध्यान दूसरी ओर आकर्षित होने पर जॅभाई के पश्चात् उनके जबड़े यथा-स्थान मिल जाते हैं और वे दुर्घटना से रक्षा पा लेते हैं। जॅभाई के समय मुंँह को हथेली के द्वारा बंद करने से बड़ी उमर के लोग भी उस दुर्घटना से बच सकते हैं।

छींक आने पर लोगो को आस पास बैठे हुए मनुष्यो से कुछ दूर हट जाना चाहिये अथवा अपना मुंँह एक ओर फेर लेना चाहिये जिससे दूसरो पर अपवित्र छींटे न पड़ें। लगातार छींकें आने पर तो छींकनेवाले को अपने स्थान से उठ जाना अत्यन्त आवश्यक है। छींक चुकने के पश्चात् उसे अपना मुँह अच्छी तरह पोछ लेना चाहिये । शिष्टाचार के फेर में पड़कर छींक को रोकना उचित नहीं, क्योंकि इससे स्वास्थ्य सम्बन्धी हानि होने की सम्भा- वना है। यदि छींक आने पर नाक के आस पास रूमाल लगा लिया जावे तो उससे दूसरो का बहुत कुछ बचाव हो सकता है।