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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार

(१०) अछूतो के प्रति

अछूतों के पास बिठालने अथवा मंदिरों में जाने देने के लिए अभी बहुत समय लगेगा, पर उनसे सभ्यता और दयालुता का व्यवहार किसी भी समय किया जा सकता है। अछूत जातियों में विशेषकर घसोर, भड़्गी, चमार, डोम, आदि सम्मलित हैं। यद्यपि ओर भी कई जातियाँ ऐसी है जो इनसे पवित्रता या शुद्धता में किसी प्रकार बढ़कर नहीं है तथापि लोग उन्हें अछूत नहीं मानते। प्राय सभी लोग इन जातियो के गरीब आदमियो से अनादर-पूर्वक बोलते हैं और यदि भीड़ में धोखे से भी इन लोगों का छुआ लग जाय तो दूसरी जाति वाले इन्हें डॉटते हैं। यह सब स्वार्थ और असभ्यता का व्यवहार है। हाँ, इतना अवश्य है कि इन जातियों के लोग शरीर ओर कपड़ों की शुद्धता पर पूरा ध्यान नहीं देते जिससे दूसरे लोगो को इनके पास बैठने म घृणा होती है।

अछूत जातियो से दया पूर्वक वर्ताव करना उचित है और यदि किसी को धोखे से इन लोगो का छुआ लग जाय तो उसको इन्हें डाँटना अनुचित है। इन लोगो से जो काम कराया जाय उसकी मजदूरी पूरी देना चाहिये। कई लोग इन्हें थोड़े ही अपराध पर गाली देने को तैयार हो जाते हैं, पर गाली देनेवाले लोग यह नहीं सोचते कि जो काम अछूत लोग करते हैं वह ऊँची जातिवालों से नहीं बन सकता। जब हमे इन लोगो पर इतना अवलम्बित रहना पड़ता है तब हमारे लिए यह उचित नहीं है कि हम इनका तिरस्कार करें। समय ने पलटा खाया है, इसलिये अब अछूत जातियांँ भी अपने अपमान का प्रतिवाद करने लगी हैं। ऐसी अवस्था में एक ब्राह्मण को किसी अछूत मनुष्य से झगड़ा करते देख किसको दुख न होगा? कई एक अभिमानी लोग अछूत जाति की स्त्रियों से भी अशिष्टता का व्यवहार करते हैं। यह भी दुख का विषय है।