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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


हैं और एक दूसरे की बात हठ पूर्वक काटने लगते हैं। कभी-कभी ये लोग ऐसी सम्मतियाँ प्रकट करते हैं जो केवल बड़ी उमर-वाले अथवा अनुभवी लोग ही प्रगट कर सकते हैं। इतना ही नहीं, ये लोग कभी-कभी अपने से अधिक ज्ञान वाले तरुण पुरुषों से भी बहस और हुज्जत करने लगते हैं। इन दोषो से बचने के लिए विद्यार्थियों को चाहिये कि वे ऐसी बातो में बहुत सोच-समझकर भाग लेवें।

कई-एक उद्दड लडके दूसरे लडको को व्यर्थ ही दवाते हैं और कभी-कभी उनसे कुछ खींच भी लेते हैं । दूसरे लडको को चाहिये कि ऐसे दुष्ट लड़कों के साथ कभी घनिष्ठता न बढावें ओर केवल ऊपरी मेल-जोल रक्खे । कोई कोई लडके तो यहाँ तक नीव होते हैं कि आप तो पढ़ने में मन लगाते नहीं और ईर्षा-वश दूसरे लड़कों का मन पढ़ने से हटाने का उपाय करते हैं। कोई-कोई बड़े आद- मियो के मद बुद्धि लड़के गरीब आदमियों के तीर-बुद्धि लड़को से मन ही मन ईर्षा रखते हैं और उनके कामो में विघ्न डालते हैं।

लड़के बहुधा छोटी-छोटी बातों में एक दूसरे से अप्रसन्न हो जाते है और अपनी इच्छा की अपूर्ति को मान-भग समझकर परस्पर लड़ बेठते हैं । इसलिये उन्हे उचित है कि ये किसी से अप्रसन्न होने के पहले कम से कम एक बार इतना अवश्य सोच लिया करें कि उनका ऐसा करना उचित है या नहीं। लड़को में बहुधा स्वार्थ की इतनी अधिक मात्रा रहती है कि वे प्रायः प्रत्येक बात में अपनी ही टेक चलाते हैं और दूसरे के हानि-लाभ अथवा सुख दुख का बहुत कम विचार करते हैं । यदि कोई उनसे उन्हीं के लाभ की बात कहे तो उसमें भी वे विश्वास नहीं करते। यही कारण है कि क्सुङ्ग में पड़े हुए लड़के कठिनाई से सुधरते हैं। लड़कों की वृद्धि कच्ची होने के कारण वे बहुत दूर तक विचार