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छठा अध्याय


नहीं कर सकते जिसके कारण वे बहुधा धूर्त लोगो के फुसलावे में जाते हैं। यदि लडके शिष्टाचार की बाते स्वयं नहीं समझ सकते तो उनके माता पिता का कर्त्तव्य है कि वे संतान को सभ्य-आचरण की शिक्षा देवें।


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