पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१०१

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पैदल और सचार का सामना करना पड़ेगा। इतने में तोपों से आग बरस ने लगी और बीच बीच में पथरकलों ते गोलियां चलाई। तोपों की गरज और बारूद की चमक एक नई बात थी। घोड़े और हाथी उसके आगे ठहर न सके जब गोले गोलियाँ चलने लगी और सिपाही धमाधम गिरे तो पहान इट गये।

१४----इस बीच में बाचर के दोनों पक्ष जिसमें तेज घोड़ों

पर सवार हाथ में तीर कमान और बरछे लिये बड़े बड़े वीर थे पठानों की आँख बचा कर दाहिने बाये दौड़े और पठान सेना के पीछे पहुँच गये और उलट कर तीर बरसाने लगे।

१५-जब बाबर ने देखा कि बैरी तोपों के आगे से हटा

जा रहा है तो उसने अपनी सेना के बायें और दहिने अड्डों को आशा दी कि बैरी के दहिने और बायें पक्षों पर टूट पड़ो। बैरी की सेना इनका सामना करने के लिये दहिने बायें मुड़ी अब उनका मुंह तोपों की ओर न रह गया। जो उनका हरवल था वह उनका पक्ष हो गया।

१६--जय बैरी की सेना यों मुड़ी तो बाबर ने अपने

दहिने बायें गोलों को आशा दी की बैरी के बीच में घुस जाओ। गोलों के सिपाही चुने हुए वीर थे और लोहे के कवच पहिने थे। अब पठानों पर चारों ओर से भीड़ पड़ गई। आगे पीछे दोनों पक्षों पर तोपों की गरज धूर और