पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/११३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(१०५ )

                   २८-पन्ना दाई।
           अपने सवामी के प्राण बचानेवाली।
 १--- राजपूत वीर और उदार होते हैं और राजपूतिनों में भी

पुरुषों कीसी वीरता होती है। अब हम तुम को एक राजपूतिन पदा दाई की कहानी सुनाते हैं जिस ने अपने बच्चे को मरवा कर अपने स्वामी के प्राण बचाये थे

२-राजपूताने का एक बड़ा राज मेवाड़ है जिस की

राजधानी चितौर है। हम लोग चित्तौर के एक राजा प्रसिद्द् राजा राणा सांगा का नाम सुन चुके हैं जो बाबर से लड़ा था जब वह मारा गया तो उसका बेटा उदयसिंह निरा बचा था। वह राज्य करने के योग्य न था इस से मेवाड़ के सामन्तों ने जब राक उदयसिंह सयाना न हो जाय वनवीर को मेवाड़ का हाकिम बना दिया।

३-पहिले तो बनवीर ने अच्छा शासन किया पीछे वह

सोचने लगा कि मैं ही मेवाड़ का राजा बना रहू। ऐसा निश्चय करके वह बचचे के मारने का उपाय सोचने लगा। उदयसिंह को एक राजपूत स्त्री जिस का नाम पन्ना था दूध पिलातो थी। उदयसिंह ही के बराबर उसका भी एक लड़का. था और वह दोनों का बहुत चाहती थी।

४-पना किसी से यह जान गई कि बनवार राजकुमार

को मारना चाहता है। वह बड़ी चौकसी रखती थी और कभी