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जहाँगीर।

रहा। जब वह तख्त़ पर बैठा तो उस ने न्याय की एक जञ्जीर बनवाई। वह जञ्जीर सोने की थी और यह चालीस हाथ लम्बी थी इस का एक सिरा महल के एक कमरे में था और दूसरा सिरा खिड़की में होकर बाहर लटकता था। इसमें साठ घंटियाँ बंधी थीं। जिस किसी को किसी ने कोई दुख दिया हो या उस के साथ अन्याय किया हो, वह जञ्जीर खींच लेता और घण्टी बजा देता तो बादशाद आ जाते थे। पर हम ने कभी नहीं सुना कि किसी का बादशाह को बुलाने का साहस हुआ हो।

३—अकबर के राज में तुर्किस्तान में ग़यास वेग नाम एक ईरानी रहता था। उस का बाप एक बड़े प्रान्त का हाकिम था पर उस का सरवस जाता रहा और उस का बेटा ऐसा कङ्गाल हो गया कि उसे अपने और अपनी जवान स्त्री के पेट की रोटियों का भी सहारा न रह गया। पर वह पढ़ लिख सकता था। किसी ने उस से कहा कि हिन्दुस्थान को चले जाओ वहाँ तुम ऐसे लोगों को काम मिल जाता