पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(५)

२—भारत की कहानी।

१—जब ये साहसी पीर पहाड़ी घाटियों में होकर उत्तर से हिन्दुस्थान में आये तो, वे यहां के रहनेवालों से लड़े और बहुतेरों को अपना दास बना लिया और बहुतेरों को हिन्दुस्थान के दक्षिण देशों में भगा दिया। हिन्दुस्थान के रहनेवालों से यह उत्तर के आनेवाले लशे, मोरे थे, डील डोल में बड़े और बलवान थे। यह लोग सूर्य, चन्द्र, आकाश, हवा और बादलों को देवता मानते थे और इनकी पूजा करते थे। पहिली जाति के लोग जो इस देश में आये आर्य थे और एक प्रकार की संस्कृत भाषा बोलते थे। आर्य लोग यहां के रहनेवालों को नीच मानते थे क्योंकि वह लोन ऐसे बलवान, न ऐसे चतुर, न ऐले गोरे और न ऐसे सुन्दर थे।

२—जब ये लम्बे और गोरे उत्तरवाले भारत में आये तो उनसे बहुत पहले से इस उपजाऊ देश में रहनेवाले इतने दिनों तक रह चुके थे कि, अब यह जानना कठिन्य है कि वह भी कहीं बाहर से पाये थे या यहीं के रहनेवाले थे। ये सारे देश में फैले थे और इनके कई कुल और कई परिवार थे। इनमें कोल और द्राविड़ मुख्य थे।

३—उत्तरवालों की भांति ये दक्षिणाले बली और चतुर न थे। पर यह सब के सब जंगली और असभ्य भील थे। उनमें से बहुतेरे नगरों और गावों में रहते थे, खेती