पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(१२२ )

निगलना ही चाहता है। ग़यास ने साँप को मार डाला,

ईश्वर को धन्यवाद दिया कि भले अवसर पर बच्चे को बचाने के लिये मुझे भेज दिया और बच्चे को उठाकर माँ के पास ले गया। उसी समय ऊँटों पर सवार कुछ लोग उधर से आ निकले। उन्हों ने ग़यास को खाने को दिया और उसे स्त्री बाई समेत हिन्दुस्थान पहुँचा दिया।

६-दिल्ली पहुंचने पर ईरानी को चटपट नौकरी मिल गई।

वह बुद्धिमान मनुष्य था। वह जल्दी जल्दी बढ़ता गया। अन्त में अकबर ने उसे अपने दरबार में एक बड़ा सरदार कर दिया और उसे एतमाद्दौला (राज का विश्वास पा) की पदवी दी। मिहर बढ़ते बढते दिल्ली की सारी स्त्रियों में सुन्दर और मोहनी हो गई।

७-उस समय दरबार में एक बड़ा चीर इरानी जवान था।

उसका नाम शेर अफगन था क्योंकि उसने एक शेर को तलवार के एक हाथ से मार था। उस ने सिहर के साथ ब्याह की इच्छा जनाई। मिहर मान गई और उस के बाप ने आज्ञा दे दी। कुछ दिन पीछे अकबर के बड़े बेटे सलीम ने भी उसे देख लिया और उस के बाप से कहला भेजा कि मिहर को ब्याह दो। उस का बार बोला कि मैं शेर अफगन को वचन दे चुका हूँ, तुम बादशाह के बेटे हो तो क्या मैं अपनी बात न पलटूंँगा। मिहर का य्याह शेर अफ़गन के साथ हो गया और वह बङ्गाल में चली गई।