पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१३५

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( १२७ ) लिखा हुआ है। बङ्गलिस्तान के बादशाह ने जिस का नाम प्रथम जेम्स था जहाँगीर के पास सर टमास रो नाम का एक अगरेजी सरदार को इस अभिप्राय से मेजा था कि अरेजी व्यापारियों को हिन्दुस्थान में व्यापार करने की बादशाह से आज्ञा मिल जाय। उस ने अपनी भारत-यात्रा पर एक किताब लिखी है।

१५-वह दिल्ली में तीन अरस रहा और कई बार

बादशाह के सलाम को दरबार में गया। दूसरे पृष्ठ पर एक चित्र की नक़ल है जो उसी समय में बनाया गया था। जहाँगीर के सिंहासन के आगे सर टमास दो हिन्दुस्थानी कपड़े पहने पगड़ी बांधे सलाम कर रहा है। नित साक को बड़ा भारी भोज होता था। सर टमास रो लिखता है कि बादशाह बहुत सी शराब पी जाता था।

१६-जब उस ने बादशाह से व्यापार की आज्ञा मांगी तो

उस से कहा गया कि मलका शासन करती है उस के पास जाओ। यह आशा नूरजहाँ से मिली और तब वह इङ्गलिस्तान्त को लौट गया। .

           ३१-शाहजहाँ।
          ताजमहल का रौजा।
१-मुग़ल बादशाहों में सब से बढ़कर राजसी ठाठवाला

पांचवां बादशाह था। उस का नाम था शाहजहाँ "संसार