पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१३८

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और मेरी समाधि ऐसी बनवाना कि जिस में संसार में प्रेरा नामा रहे। ४ --शाहजहाँ रो रहा था पर उसने यह दोनों भात स्वीकार की और अपने बचन पर अटल रहा। उसने दूसरा शाह न किया और मुमताज़ महल की कबर पर ताजमहल मनवाया जो संसार की सारी छत्रियों से बहुमूल्य और सुन्दर हैं। यह आगरे में यमुना जी के किनारे बना है और देखने में ऐसा जान पड़ता है कि मानो आज ही दान कर तैयार हुआ है। इसके बनवाने में तीस बरस लगे थे और लगभग तीस लाक्ष रुपया पचे हुआ था। - शाहजहाँ ले एक बड़ी मसजिद दिल्ली में बनवाई जिस को जामा मसजिद कहते हैं। एक मसजिद आगरे में भी बनवाई जो मोती मसजिद के नाम से प्रसिद्ध है। संसार में कोई पूजा-गृह इसकी सुन्दरता को नहीं पहुंचता। ६---माहजहाँ का अन्तिम समय बड़े दुख से बीता। उस के एक बेटे औरङ्गजेब ने राज छीन लिया और अपने बूढे पिता को उस के मरने तक कैद रखा। ३२---औरङ्गजेब। मुग़लों की शक्ति का अन्त । १–छठां मुग़ल सम्राट् औरङ्गज़ेब था। औरङ्गजेब शब्द का अथ है "सिंहासन की शोभा देनेवाला। वह अन्तिम