पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१४०

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(१३२) अनुसार काफिरों पर लगाना उचित है पर जिले औरङ्गजब के परदादा अकबर ने बुद्धिमानी से उठा दिया था। उसने काशी तीर्थ का प्रसिद्ध मन्दिर खुदवा डाला और उसकी जगह पर एक मसजिद बनवा दी। इन सातों से हिन्दू बहुत चिढ़ गये। राजपूत राजाओं ने औषका का साथ नदिया और एक एक करके अलग हो गये। ४.--.और बातों में औरङ्गजेल बड़ा न्याथ- कारी शासक उसे न मद पीने की लत थी और न वह व्यर्थ मनबहलावों में अपना समय गंवाता था। वह वही काम करना चाहता था जिसे कह उचित समझता था औरङ्गजेब की वृद्धावस्था। और अपने राज का प्रबन्ध अच्छा करता था अपने निज के कामों में उस ने एक पैसा भी न लगाया और पहिले कुछ दिनों तक उस ने गुलाम वंश के बादशाह नसीरुद्दीन की भाँति टोपियाँ सीकर और कुरान नकल करके अपनी रोटी कमाई। यह बड़ा विद्वान्