पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१४१

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था। वह और धर्मवालों पर निहुराई न करता तो उसले भी लोग अकबर की भांति बहुत मानते और उसका राज छिन्नभिन्न न होता। यह चित्र औरङ्गड़ेब के बुढ़ापे का है। जहाकी दाढ़ी सफेद हो गई थी और नव्वे बरस की उमर में उस की ऊसर झुक गई थी और वह लाठी के सहारे चलता। ५-औरङ्गजेब के पिता शाहजहाँ ने उसे एक बड़ी सेना दी थी और इसी सेना से उस ने विन्ध्याचल के दक्षिण बहुत से पठान राज परास्त कर दिये थे। ६-घर दक्षिण देश के पश्चिमका पहाड़ी देश जिस को अब बम्बई कहते हैं उसके हाथ न आया। उस समय में इल देश में सड़कें न थी और पहाड़ पहाड़ियों के अपर घने बन्द लगे थे। हर पहाड़ी के ऊपर एक गढ़ी रहदी थी जिस में एक राजा सामन्त रहता था और वही आस पास के गाचों का शासन करता था। ७-इस पहाड़ी देश के रहनेवाले महरठे थे। यह डील के छोटे पर बहुत ही चञ्चल, बड़े बीर परिश्रमी थे और छोटे छोटे घोड़ों पर सवार रहते थे। यह घोड़े भी बड़े परिश्रमी थे और बड़ी बड़ी दूर का धावा मारने पर भी नहीं थकते थे। दक्षिण के मुसलमान बादशाहों की सेना में बहुत से महरठे सिपाही रहते थे। मुसलमानों की दक्षिण में पांच बादशाहते दो सौ बरस पहिले हापित हो चुकी थी। और दक्षिण और हिन्दुस्थान दोनों पर मुसलमानों का