पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१४२

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( १३४ ) अधिकार था। मुगल सम्राट ने इन बादशाहों पर चढ़ाई की जिस से वह दिनों दिन बलहीन होते गये और हिन्दू राजाओं को अबसर मिला कि फिर सिर उठाये और देश में राज करें। जब मुसलमान बादशाहते ना हो गई तब औरङ्गजेब ने जाना कि इन से मेल कर लेते तो अच्छा था क्योंकि ये ही महरठों को दबाये रहते थे और इन्हीं के बलहीन होने से महरठे फिर बली हो गये।

८--महरठे, एक सरदार जिस का नाम शिवाजी था

उस को अपना नेता मान कर एक हो गये। अपने शासनकाल के पिछले आधे पचीस बरस तक औरङ्गजेब शिवाजी को परास्त करने के लिये दक्षिण में पड़ा रहा। वह नंबे बरस का होकर अहमदनगर में मर गया,और जैसी उस की इच्छा थी उस की बहुत ही सादी कबर बनाई गई। उस का अन्तिम पत्र जो उल ने अपने एक बेटे को लिखा था अब तक है; उस में लिखा है, "अब मैं बहुत बुड्डा हो गया। मैं संसार में नंगा आया था अब भी नंगा ही जाऊँगा: केवल पापों का बोझ सिर पर रहेगा; मेरा जीवन अकारण गया। मैं ने जैसा मुझे उचित था अपनी प्रजा का पालन नहीं लिया। मैं नहीं जानता ईश्वर मुझे क्या दण्ड देगा। मुझो ईश्वर की दया का भरोसा है पर मेरे कर्म बुरे रहे हैं इसी से मैं डरता हूँ। जो हुआ सो हुआ खुदा हाफिज, खुदा हाफिज़, खुदा हाफिज़ | * *

      ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।