पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उसके मरने के पीछे नहरठे प्रवल होते गये और मुगलराज का एक एक भाग दबाते गये यहाँ तक कि मुगल वंश के नाम मात्र के बादशाहों के पास बहुत थोड़ा ही सा राज रह गया

६---औरङ्गजेब ने मुसलमान को जितना बढ़ाया उतना

कभी न था। पृष्ठ १०६ में जो नक़शा दिया है उस से तुम १५५७ ई० में जब कबर सिंहासन पर बैठा था इख राज का विस्तार जानोगे

१०.---पचास बरस मैं अकसर ने इसे बहुत बड़ा दिया जैसा

कि पृष्ट ११० के नक़शे से प्रगट होगा जिसमें १६०० ई० में इस का विस्तार दिखाया गया है

११-- पृष्ठ १३५ पर जो नक़शा दिया गया है उस से सौ

बरस पीछे १७००ई० में इस का विस्तार जाना जाता है। और उस समय में एक बादशाह इतने बड़े राज का शासन नहीं कर सकता था चाहे वह कितना ही बली क्यों न हो। औरङ्गज़ेब के पीछे जो बादशाह हुए वह सब बलहीन थे। उनके शासन में राज की धजियाँ उड़ गई

        ३३-महरठा राजा शिवाजी।

१-शिवाजी का बाप एक महरठा सरदार था। वह घर बहुत कम रहता था। उस ने अपने बेटे को पूना मे एक बुड्डे ब्राह्मण के पास छोड़ दिया था जो कहता था कि पढ़ना