पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१५१

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(१४३ ) अभी तक उस ने ऐसी निठुराई न की थी जसी वह पीछे करने लगा था। औरङ्गजेब का एक लड़का दक्षिण की सेना का नायक था। उस ने अपने बाप से कहला भेजा कि शिवाजी ने सुरत को लिया और गढ़ पर गढ़ लेता चला जा रहा है और देश का राजा बनकर अपने नाम का सिका चला रहा है । औरङ्गजेए अब तक शिवाजी को तुच्छ समझता रहा और उसे पहाड़ी चूहा कहता था पर अब उस ने जाना कि शिवाजी दबाया गया तो लारे दक्षिण को अपने अधीन कर लेगा।

२-ऐसा निश्चय करके उस ने जैपुर के राजा जयसिंह को

जो एक बहुत बड़ा राजपूत सरदार था शिवाजी को परास्त करने के लिये भेजा जयसिंह दक्षिया देश को जानता था। उस ने शिवाजी को भगाया और शिवाजी को अपने ही गढ़ में बन्द कर दिया और उस को घेर कर बैठा। जयसिंह ने दूसरा गढ़ भी घेर लिया जिस में शिवाजी की स्त्री और बच्चे भाग कर छिपे थे। जय शिवाजी ने जाना कि मैं बच नहीं सकता और स्त्री और बच्चे भी सङ्कट में हैं तो उस ने कहला भेजा कि जयसिंह अपना वचन दें कि मेरे साथ भलमंसी का बर्ताव होगा तो मैं अधीन हो जाऊं।

३-जयसिंह ने वचन दिया कि शिवाजी का कुछ न

बिगड़ेगा। तब शिवाजी अपने गढ़ से निकल आया और सन्धि कर ली गई। शिवाजी ने बारह गढ़ियाँ अपने पास रख ली, और सब छोड़ दी और यह प्रतिज्ञा की कि अपने