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वह बोले। तब उन को छाती से लगा लिया। कुछ दिन पीछे शम्भूजी भी कुल-गुरु के साथ आ गया। शिवाजी उस को चार लाख रुपयों की भेंट दी।

१-थोड़े दिन पीछे शिवाजी ने महरठा देश की राजा की

पदवी धारण की और उस का राज्याभिषेक हुआ। औरङ्गजेच जीता ही था जब वह ५२ बरस की उभर में मर गया। औरङ्गजेब उस को कई बरस पहिले घृणा से पहाड़ी चूहा कहा करता था। अब औरङ्गजेब ने कहा कि "शिवाजी लड़ाई के गुणों मैं पका और वीर योद्धा था, मैं अपनी सारी शक्ति से उसे अधीन नहीं कर सका।' शिवाजी ने जो गुण सिखाये थे उन्हें महरठा सरदार कभी न भूले। हर साल वह अपनी सेना लूट मार करने ले जाते और कई राजाओं से इन लोगों ने चौथ ली जिसका अर्थ मालगुजारी का चौथा भाव है। अन्त को उन्हों ने दिल्ली ले लो और बहुत दिनों तक उन के एक सरदार सधिया ने मुग़ल बादशाह को बन्द रख कर उस के नाम से बादशाही की।

१०-अन्त में महरठा सरदारों ने दक्षिण और हिन्दुण्यान के

दक्षिण-पश्चिम में पांच राज्य स्थापित किये। इनमें से तीन अब भी हैं; होलकर जिसकी राजधानी इन्दौर है, सेंधिया जो ग्वालियर में और गायकवाड़ जो गुजरात में शासन करता है। पूना और बशर के दो राजय नषट हो गये।