पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१६१

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आँख बिजुली की नाई चमकती थीं। उल की कमर में कटार कली रहती थी और वह हाथ में तलवार लिये रहता था। वह और उस के सिपाही दिन भर दिल्ली में भार काट मचाते रहे। वह शाहजहाँ का तख़्त ताऊस और पुराने मुगल बादशाहों के मुकुट और रतन सब ईरान को उठा ले गया।

४-दक्षिण और मध्य-भारत में मुसलमान बादशाह

हिन्दू राजाओं और सरकारों से लड़ते रहे। लाखों आदमी मारे गये और बहुत सा देश उजाड़ कर दिया गया। सरदारों के दल के दल देश में फिरते थे, अपने घोड़ों के लिये किसानों की बड़ी खेतियाँ काट डालते थे और प्रजा को लूटते मारते थे। इस समय में लोग हर गाँव के आस पास दृढ़ कोट बनाते थे और चारों ओर कांटों की बाड़ लगाते थे जिसमें लुटेरे म घुस आयें।

५-किसान हल जोतने जाते थे तो अपनी तलवार साथ

ले जाते थे। जग़ह जगह ऊँचे मचानों पर रखवारे बैठाये जाते थे जो चारो ओर देखते रहें कि कहीं डाकू तो नहीं आ रहे हैं। हर गांव में एक धौंला रहता था जिसकी धमका आध कोस तक सुनाई देती थी। जहां डाकू आते दिखाई दिये धोसा पर चोट पड़ी, और उसे सुनते ही लोग खेतों से भाग कर कोट के भीतर चले जाते थे

६--राह चलते लुटते थे। बिना सिपाही साथ लिये कोई

राह न चलता था। बहुत से इलाके उजाड़ पड़े थे, जो कुछ