पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१६५

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मतलब यह था कि महरठे दिल्ली को अपने अधिकार में कर ल और बादशाह को मार डालें तो सूबे आए से आप उन के हाथ में आ जाएंगे और उस को यह उचित जान पड़ा मालवा प्रान्त अपने अधिकार में कर लिया जाय जो महरठा देश और दिल्ली के बीच में था। इस प्रान्त के उत्तर का खण्ड सधिया ने ले लिया और उसने ग्वालियर को अपनी राजधानी बनाई। दक्षिण का खण्ड होलकर के पास रहा और उस की राजधानी इन्दौर हुई।

८—इसके पीछे बाजीराव ने कई बरस तक अपनी सेना

को क़वायद सिखाने और प्रबल बनाने में बिता दिये। पर वह दिल्ली पर चढ़ाई न कर सका और भर गया। उसका बेटा बालाजीराव उसकी गद्दी पर बैठा।

६-इधर तो महरठे सरदार उस बादशाहत के लेने की

तयारी कर रहे थे और उधर एक और शक्तिमान बादशाह उन के भी आगे बढ़ चला। नादिरशाह के बड़े सेनापतियों में एक अहमदशाह भी था। नादिरशाह के मरने के पीछे अहमदशाह ने काबुल पर अपना अधिकार कर लिया जो इस समय ईरानी बादशाहत के अधीन था और वहीं रहा करता था। वह दुर्रानो वंश का था और अफगानिस्तान के दुर्रानी बादशाहों में सब से पहिला वही हुआ। नादिरशाह के साथ दिल्ली आया था और उसने अपनी आँखों देखा था कि मुग़ल बादशाह कैसा शक्तिहीन हो रहा है।