पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(१६०)


और अहमदशाह चाहता था कि हिन्दुओं से लड़ने के लिये उनको भी मिला ले ।

१४-पेशवा ने भी सारे हिन्दू राजाओं से सहायता

मांगी। कई राजपूत राजा अपनी सेना लेकर आये भरतपुर का चतुर बूढ़ा गाजा सूर्यमल भी बीस हजार जाट लिये हुए पहुँच गया ; बहुत से पिएडारे भी आ गये जो हिन्दू भी थे और मुसलमान भी थे और जो जहाँ कहीं टूटने का अवसर मिलता यहीं जाने को तैयार थे। सूजरमल।

१५ -यह सारी सेना एक

ब्राह्मण की कमान में थी। इसका नाम शिवदासराव था पर इसे सब भाऊ कहते थे क्योंकि यह पेशवा का भाई था। यह जवान था, वीर था, चतुर था, पर बड़ा अभिमानी था और यह समझता था, कि मैं सँधिया और होलकर से भी बढ़कर युद्धनीति जानता हूँ। सँधिया और होलकर दोनों उस से बहुत बड़े थे और कई लड़ाइयाँ लड़ चुके थे। भाऊके साथ पेशवा का बेटा विश्वासराव भी आया था जो सत्रह ही बरस का निरा लड़का था।

१६-बड़ी सेना दिल्ली पर चढ़ गई। किले की रक्षा