पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१७६

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भाऊ के पास रुपया ला रहे थे और एक एक सिपाही के पास हो दो हजार रुपया था टूट पड़े और सब को मार कर रर्ण्या छीन लिया।

५--उधर रहेलों का देश पूर्व की ओर पास ही या

और रुहेले अफगानियों के मित्र थे। वह असल में अफगानी और तुर्को थे, पर हिन्दुस्थान में बसने से हिन्दुस्थानी भाषा बोल सकते थे। जो रुहेले शाह के साथ थे वह अपने और अफगानियों के खाने का सामान अपने देश से लाते थे। जब महरठे शिवानी के साथ औरङ्गजेब की कमान में मुगलों से लड़ते थे तब बह दक्षिण में अपने ही देश में ! यह अपने लिये खाना सहज ही पा जाते थे और मुगलों तक रसद न पहुँचने देते थे। यह सब दक्षिण से दूर हिन्दुस्थान में थे

६-भाऊ ने अब जाना कि मैं बड़े सङ्कट में ई। उसने

शुजाउद्दौला को फिर लिखा और उस ने उल को एक बड़ी भेंट भेजी और शाह से सन्धि करने का उद्योग करने को कहा। काशीराव ने उसकी परी पढ़ कर सुना दी उसमें लिखा था कि मैं सब बात मान जाऊंगा जो मुझे अपने देश लौट जाने दें। तब शुजाउद्दौला और काशीराब उस की पत्री शाह के पास ले गये शाह ने कहा कि मैं यहाँ हिन्दुओं से नजरिषुद्दौला और पठानों को बचाने के लिये उन के बुलाने से आया हूँ उन से पूछा जाय कि आप क्या