पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२---सबसे अचे वर्ग के लोग ब्राह्मण कहलाते थे। यह सब पुजारी थे और इनका काम देवताओं की पूजा करना और लोग इनको पूज्य मानते थे। दूसरी जाति क्षत्रियों की थी। यह लोग सिपाही थे और इनका काम लोगों को रक्षा के लिये लड़ना भिड़ना था। राजा सदामती वर्ण का होता था। तीसरार्ण वैश्यों का था, जो दुकानदारी करते या व्यापारी थे। चौथे वर्ग के लोग सून चौथे वर्ग के लोग शून थे। यह लोग धरती जोतते और, और वर्गों की दहल करते थे। इस जाति में बहुत से चाण्डाल भी रहते थे, जो औरों के दास होते थे। ३-इल समय के क्षत्रिय राजाओं में सबसे प्रसिद्ध श्रीरामचन्द्रजी हुए। इनके पिता महाराजा दशरथ कोशल देश के राजा थे, जो आज कल उत्तर भारत में अवध प्रांत के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीरामचन्द्रजी देश भर में सबसे मालवान और बड़े वीर थे ४-उसी समय में सब से बढ़कर सुन्दरी कन्या श्रीसीताजी थीं। वे एक दूसरे क्षत्रिय राजा महाराज अनक की बेटी थीं। महाराज जनक के पास एक बड़ा भारी धनुष था, और उन्होंने यह प्रतिज्ञा की थी कि, सीता का व्याह उसी के साथ होगा जो इस धनुष को सके। सीताजी ऐसी सुन्दर ऐसी मोहनी और सी सुशीला थीं कि, देश देश के राजा उनके साथ अपना विवाह करना चाहते थे राजा पर राजा उस बड़े धनुष को झुकाने आये ।