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अफ़गानों की भांति इसके भी तीन खण्ड हैं मध्य भाग, दहिना अङ्ग और बायां अङ्ग। बायां अङ्ग सबसे शक्तिमान था। इसमें १५००० सिपाही अच्छे से अच्छे हथियार बांध सीखे सिखाये इब्राहीम गाडो की कमान में थे। पब फरासीसी युद्धनीति सीखे हुए थे। बाई ओर बली कुमक थी और दहिली ओरु १०,००० गुजराती लिये हुए गायकवाड़ था।

 ७-मध्य भाग में महरठी सेना का सबसे प्रधान अंग

४०,००० सवार भाऊ और विश्वासराव की कमान में थे। दहिनी ओर ५००० सवार लिये होलकर और दस हज़ार सवारों के साथ संधिया खड़ा था।

८- आगे महरटों ने तोप सजी। पर पीछे कोतल न

रखी। यह उस की बड़ी भूल थी जैसा आगे हम तुम को बतायेंगे।

६-जो नकशा पृष्ठ पर दिया हुआ है उसमें सेनानायकों

के वह स्थान दिखाये गये हैं जिन स्थानों पर वह सूर्य उदय के समय थे जब लड़ाई होने लगी। थोड़ी देर तक दोनों ओर से गोले बरसाये गये उस के पीछे महरठों ने अफगानो पर धावा मार दिया और अफ़गान अपने को बचाने में लग गये महरठों का बायाँ अङ्ग सबसे पहले अफगानों के दहिने अङ्ग से भिड़ गया। इब्राहीम गाडी ज्यों ही अफ़ग़ानों के पास पहुँचा उस ने गोलन्दाज़ों और बन्दूकचियो से गोला गोली