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बढ़ते बहते यह भारतवर्ष के सबसे बड़े और धनी शहर हो गये हैं।

 ३-अङ्गारेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी को वहाँ के मापार से

इतना लाभ हुआ कि उन की देखा देखी दूसरी सौदागरों ने कम्पनियाँ खड़ी की और भारत से व्यापार करने लगे। सौ बरस बीतने पर यह सब कम्पनियाँ एक में मिल गई और सन् १७०० ई० में इनका नामा संयुक्त ईस्ट इण्डिया कम्पनी रखा गया। इङ्गलिस्तान के बादशाह ने भारत से व्यापार करने का सारा अधिकार इनको दे दिया।

 ४---यूरोप की दूसरी जातियों में भी अपने सौदागर

हिन्दुस्थान भेजे। यह जातियाँ पुर्तगाली डच और फ़रान्सीसी थी। फरासीसियों का मुख्य नगर मद्रास के दक्षिण पाण्डीचेरी था।

 ५-एक सौ सत्तर बरस हुए यूरोप में फ़रान्सीसियों और

अङ्गरेजों में लड़ाई छिड़ गई। इस कारण जहाँ कहीं अङ्गरेज़ और फ़्रान्सीसी थे आपस में लड़ने लगे। यह एक दूसरे को भारतवर्ष से निकाल देना चाहते थे। यह लड़ाई बीस बरस तक होती रही; अन्त में अगरेजों की जीत हुई। फ्रांरसिसियो का प्रधान अफसर डूपले था और अङ्ग्रेजों के लारेन्स और क्लाइव थे।