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चाहता था कि अंगरेज सौदागरों को हिन्दुस्थान से भगा दी जिसमें यहाँ का सारा व्यापार फरासीसियों ही के हाथ रहे। उसके यहाँ चार हजार देशी सिपाही थे जो सोपाय कहलाते थे और जो फ्रसिसी अफसरों की कमान में रहकर लड़ना सीख चुके थे

 ६-फरान्सीसी अङ्करेजों से बलवान थे।

डूपले ने मद्रास छीन लिया पर कुछ हो दिनों पिछे लारेन्स जो एक बहादुर अरेज़ अफसर था कुछ सेना ले कर जिलायत से आया और उसने डूपले को मद्रस से भगा दिया। उसी समय यूरोप में आङ्गरेज और फरासीखियों में सन्धि हो गई और फिर अगरेज़ और फ़रान्सीसी हिन्दुस्थान में खुल्लम खुल्ला न लड़ सके

      ४२-अरकाट का प्रसिद्ध घेरा।

१-फरान्सीसी अगंरेजो से खुले खुले न लड़ सकते थे। पर डूपले ने अगरेजों के निकाल बाहर करने का विचार अपने मन से न हटाया। वह अब भी अपनी सेना इस लिये रखता कि कदाचित् उसे कभी अङ्करेजों से भिड़ जाने का