पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१९६

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अली। (१८८ ) अवसर मिल जाय और सिपाहियों के वेतन के निमित्त उस ने यह उपाय सोचा कि उनको कमी कभी यहाँ के देशी सरदारों को किराये पर दे दिया जाय। २-इस समय दक्षिण भारत में दो मुसलमान्द सरदार थे और वह दोनों अपने को नवाब और करनाटक का हाकिम बतलाते थे। उनमें से एक का नाम चन्दा साहब था और दूसरे का महम्मद महम्मद अली कारदारका में कुछ दिनों से राज करता था और बन्दा साहब उसका राम छीनना चाहता था। चन्दा साहब का प्रधान नगर अरकाट था और महम्मद मेजर लारेन्स और महम्मद अली । अली का त्रिचनापल्ली। हूपले ने अपनी सेना चन्दा लाहब को किराये पर दी और चन्दा साहब ने उसकी सहायता से महम्मद अली को भगा दिया और उसको त्रिचनापल्ली में घेर लिया। महम्मद अली ने देखा कि बैरी का पल्ला बहुत भारी है और उसने मद्रास के आगरेज़ों से सहायता मांगी। ३-मद्रास का गवर्नर भी कुछ सेना रखता था क्योंकि