पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१९९

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लिये यह उनसे नित कवायद करता था। जब अरकाट थोड़ी ही दूर पर रह गया तो बड़ी आंधी आई, बिजली चमकी, बादल गरजे पर क्लाइव और उसके आदमी बड़ी सावधानी से बढ़े जाते थे मानों आकाश निर्मल धा। अरकाट के सरकार ने यह जानने के लिये, कौन आदमी आ रहे हैं कुछ चर भेजे। बह लोग भाग हुए उसके पास पहुंचे और बोले कि "यह असूरों का झुण्ड मालूम होता है जिस पर आंधी पानी का भी असर नहीं होता।"

 ६-यह समाचार सुन बार सरदार घबरा गया। एक

फाटक से कलाइव के सिपाही अरकाट के भीतर आते थे और दूसरे से चन्दा साहब के सिपाही भागे जाते थे। क्लाइव ने नगर निवासियों के साथ बहुत अच्छा बरताव किया। उनसे कोई खीज़ नहीं छीनी ; बरन जो कुछ उस के सिपाहियों ने उन से मोल लिया उस का पूरा दाम दिया। अब उन लोगों ने देखा कि क्लाइव उन पर कैसी कृपा करता है तो उनसे जहाँ तक हो सका उस की सहायता की और किले की दीवारें जो बहुत जगह पर टूट गई थीं मरम्मत करा दी।

७-ज्योंही चन्दा साहब ने सुना कि अरकाट ले लिया

गया, उस ने तुरन्त दस हजार आदमी अपने बेटे रज़ा साहब के साथ अरकाट विजय करने को भेजा दिये। रज़ा साहब के साथ डेढ सौ फन्सीसी सिपाही भी थे। दो महीने तक चन्दा साहब अपना सिर मारता रहा पर उस से कि़ला न