पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२०५

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युद्ध हुआ! : ३ अरेजों का साथ नहीं दिया पर सेना सहित निकट ही खड़ा देखता रहा कि किसकी जीत होती है। सन्ध्या समय सिराजुदौला की सेना मारा गई। मीरजाफर मच्चाट बनाया गया और सिराजुदौला जीपमाफर के बेटे मीरन के हाथ मारा गया। भीरज़ाकर का चित्र देखो कैसे कैसे महरो मोतियों का हार पहने हुए है और जड़ाऊ सरपन्ध सिर पर लगाये हुए है। ३.....पलासी का युद्ध भी ईसाही प्रसिद्ध है जैसा कि अरकाट का घेरा। यह कोई बहुत बड़ी लड़ाई न थी क्योंकि इसमें केवल ७० आदमी एक ओर के काम आये और ई०० दूसरी ओर के पर इसके बड़े बड़े परिणाहुए। यह अहारेजों की पहली जीत उत्तरी हिन्दुसान में थी और इस के पीछ अङ्गारेजों की जीत पर जीत होती गई यहाँ तक कि धीरे धीरे ईस्ट इण्डिया कम्पनी सारे हिन्दुस्तान का मालिक हो गई। यह एक ही मनुष्य की चतुराई और बहादुरी थी जिस ने अरकाट और पलासी के मैदान तय किथे और यह मनुष्य राबर्ट क्लाइव था। ४-थोड़े ही दिनों पीछे क्लाइव इङ्गलिस्तान लौट गया। वहाँ उसको बादशाह ने लार्ड बना दिया और यह एक बड़ा रईस और अमीर समझा जाने लगा। मीनार का शासन अच्छा न रहा। उसको अपने ही सुख चैन की चिन्ता रहती थी। पलासी की लड़ाई के