पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२१५

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रहे कि उन्हों ने उसे फिर बङ्गाल में गवरनर बनाकर भेज दिया। २-बङ्गाल की दशा ऐसी बिगड़ रही थी कि उस जो सुधारना एक बड़े हद और धनुर अफरनन का काम था। सन् १७६५० में काइन्छ के भारत से जाने के पीछे सब बिगड़ गया। लाश्च ने बङ्गाल का शासद सोmarge के दाथ में दे दिया था। पर उसका बेटा जवाथ बनाया गया। इन दोनों का शासन बहुत दुरा था। और महसूल बहुत कड़े से पर उस से भो राज का पूरा न पड़ता था। १६ लाख रुपया साल में शाह आलम धारेन हेस्टिङ्गस। को भी कम्पको देती थी। वह कहाँ से दिया जाता। देश कङ्गाल होता गया, कपनी का व्यापार ले लाभ भी घट गया और उसे अपना काम काज करने के लिये रुपया उधार लेना पड़ा। ३...हेस्टिना एक साल तक गङ्गाल का गवरनर रह चुका था: जब कम्पनी ने बड़ा उलट फेर कर दिया। अब तक तीन गवरनर होते थे, एक जालकास्ते में एक मास में