पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२१७

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व्यापारी का भी काम करता था और राजा का भी। भारत में पहले यह नीति थी कि शनिला राज्य करते थे, प्राह्मण उनकी राज्य करने की रीति बताते थे और वेश्या व्यापार करते थे। को सीबों का एक साथ करने पहे। वह इस बात का उद्योग करता था कि शकिता और भारत के व्यापार से लाभ हा जिसमें किया के व्यापारी प्रसन्न रहें और उसे संगाले का बासना करता था जिसमें वहाँ के रहनेवाले सुखी रहें। उसे नये देगरेजी मितियों को सिखाना पड़ता कि राजा भी करें और व्यापार भी कर। उसे गहास और समाई के गबरनों के काम की जांच करनी थी : उन्हें सलाह देता था और कार पड़ने पर उनके पास रुपया और लेना जसा था। इस पर भी दुख लोग उसको धुरा कहते थे उसके कामों में वि डालते थे और उसका सर्वनाश करने का यत्न करते थे। उसकी कौंसिल के मेम्बर ( सभ्य) जो अंगरेज़ थे अच्छे और सच्चे होते तो उस का काम इतमा कड़ा न होता। एक ही मेम्बर ऐसा था जो बंगाल में रह चुका था। वह हेस्टिङ्गस् का साथ देता रहा। कम्पनी के भेजे हुए इंगलिस्तान से और तीन आये थे। चेन बंगाल देश को समझते थे न वहाँ के रहनेवाले आदमियों को । इन तीनों में एक कोसिस थ्रा जो समाशा था कि मुझ को गवरनर जेनरल होना चाहिये था और उसने हेस्टिङ्गस् के बिगाड़ने में