पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२२२

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( २१४ ) थीं और लोग हेस्टिङ्गर हो इसलिये रुष्ट थे जो उस ने हिन्दुस्मानियों से नज़र भेंट लेना बन्द करवा दिया था, क्रांसिस के सहायक हो गये। इन परियों ने फ्रांसिस से मिल कर उस के विरुद्ध पार्लियामेण्ट मैं झूठी नालिश की और ठे दोष लगाये। यह इङ्गलिस्तान में सब से प्रसिद्ध और बड़ी सबकारी थी। रानी, राजकुमार, राजकुमारियों, झूधक विशप, बड़े बड़े सामन्त और उन की खियां, जज लोग वहाँ उपस्थित रहते थे और धकीलों की बहस सुनते थे। उस समय के बड़े बड़े वकील वारेन हेस्टिङ्गस् पर दोषारोपण करने के लिये रखे गये थे और उन्होंने हेस्टिङ्गाल पर बड़े बड़े शेष लगाये और इस बात के सिद्ध करने का यत्न किया कि वेस्टिङ्ग बूट बोला, झूठी कसम खाई, बरजोरी से औरों का धन छीना, निठुराई की, धोखा दिया और अत्याचार किया। उन्हों ने यहाँ तक कहा कि अंग्रेजी भाषा में ऐसे शब्द नहीं हैं जिनसे उन के अपराधों का पूरा बखान हो सके। मुख्य वकील की बहस ऐसी बिचित्र थी और उस का ब्याखान पेला प्रभवशाली था कि हेस्टिङ्गर ने अपने एक मित्र से कहा “मैं आधे घण्टे तक उस की ओर अचरज से देखता रहा और समका कि मेरे बराबर संसार में दूसरा दुष्ट नहीं है।' ३-इस रुबकारी के कई बरस पीछे यही वकील और हैस्टिङ्गस् दोनों इङ्गलिस्तान के युवराज के यहाँ खाना खाने को बुलाये गये। युवराज ने चाहा कि दोनों में मेल हो