पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२३

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सीताजी को हर ले गया और अपने ला टापू में से श्रीपाजी ने इन्हीं जन के बहनेवालों की सहायता से रावण पर चढ़ाई कर दी। इन लोगों के सेनापति हनूमानजी थे जिनको हिन्दू लोग अब तक पूजते हैं। रावण मारा गया और सीताजी फिर श्रीरामचन्द्रजी के. पास आ गई। ११-इतने में चौदह बरस भी बीत गये। श्रीरामचन्द्र वन से लौटे और अवध में उन्होंने बहुत दिनों तक राज किया। उनकी कथा एक बड़े अन्य में लिखी है। उसका नाम रामायण है। हजारों बरस से हिन्दू इन को ईश्वर का अवतार. मानकर पूजते हैं। हर हिन्दू लड़के को चाहिये कि श्रीराम-- चन्द्रजी की भांति वीर और सत्यवादी बने और हर हिन्दू लड़की को उचित है कि श्रीसीताजी का अनुकर पा करे । ४-बुद्धदेव को कथा। १-पचीस सौ बरस हुए और श्रीरामचन्द्र से बहुत पीछे उसी अवध प्रान्त में एक दूसरे राजकुमार का क्षत्रिय राजा के घर में जन्म हुआ। वह भी ऐसाही प्रसिद्ध हुआ है। जैसे श्रीरामचन्द्रजी हैं। इस राजकुमार के पिता शाक्यवंश के राजा थे। वे बड़े