पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लगी तब टीपू डरा कि कहीं गह छिन न जाय और उसने सन्धि के लिये प्रार्थना की। ८-सन्धि कर ली गई और टीपू को लड़ाई का सत्र खर्च देना पड़ा और उल को अपना आधा राज भो देना पड़ा। निज़ाम और महरलों ने कोई काम न किया था तो भी यह देश निज़ाम महरठे और अंग्रेजों में आपस में बांट लिया। अंग्रेजों को मालाबार पश्चिमी समुद्र के किनारे के देश मदुरा और सलेम .... इस लड़ाई के समाप्त होने पर लार्ड कार्नवालिस हङ्गलैण्ड लौट गया। सन् १७६२ ई० के भारतवर्ष के मकशे से तुम जानोगे कि उस ने अंग्रेजी राज को कितना बढ़ाया। इस नकाशे को सन् १७६५ ई० 'के नको हो जैसा लाई काइक में छोड़ा था मिलाने से तुम जानोगे कि लार्ड कार्नवालिस ने राज में कितना राज बढ़ाया। यह नये देश मद्रास प्रेसीडेन्सी में थे। इस प्रेसीडेन्सो को लार्ड लाइव ने उत्तरीय सरकार को लेकर नीव डाली थी। लार्ड कार्नवालिस ने इसमें एक तिहाई और जोड़ा ; उसो से उस को अंग्रेजी भारत का दूसरा बनानेवाला कहते हैं। १०-सात बरस तक टीपू शान्त रहा। इस के पीछे वह फिर अंग्रेजों से लड़ाई करने का उद्योग करने लगा। फ्रान्त के बड़े बादशाह नेपोलियन को जो अंग्रेज़ों का बड़ा शत्रु था लिखा कि उनको भारतवर्ष से निकाल देने में मेरी