पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२५४

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( २४६) वहाँ खेती कर सकते है। लार्ड डलहौजी ने बहुत सी नहरें बनवाई और सूखी धरती पर पानी पहुंचाया। उन्हों ने गङ्गा की नहर निकलवाई जिसके बराबर संसार में दूसरी नहद नहीं है। उन की निकलवाई नहर तीन हजार मील तक देश में गाईहैं उस को उपजाऊ बनाती है और जहाँ पहले चटियल सैदान रहता था वहाँ अब हरे भरे वल्वेत पड़े हैं। ५--लार्ड डलहौज़ी की गावरनर जेनरली में अंग्रेज़ी और देशी भाषा पढ़ाने के लिये बहुत से मदरसे खुले। उहा के समय में इस देश में पचीस हजार स्कूल थे अब बढ़ते बढ़ते २००००० हो गये हैं जिन में ८० लाख लड़के पढ़ते हैं। ६-लार्ड डलहौज़ी के समय से पहले विरला ही कोई चिठ्ठी लिखता था। डाक महसूल बहुत था। रेल का तो नाम ही न था और सड़कें भी बहुत कम थीं। इरकारे चिट्ठियाँ ले जाते थे और बहुत धीरे धीरे चलते थे। चिठियों पर ठिकट न होते थे। दूर की चिट्टियों का महसूल भी अधिक देना पड़ता था। लार्ड डलहौज़ी ने आधा आने के टिकट बनवा दिये। अब एक अधरने में चिट्ठी देश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक दो हज़ार मील तक पहुंच जाती हैं और पोस्ट कार्ड दो ही पैसे में जाता है। कुल भारत एक शक्तिमान् राजा के शासन में न होता तो डाक का