पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२५७

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अहुत से तालुकदार थे जिन की अंग्रेजो राज होने से प्रतिष्ठा कम हो गई थी और वह अपने पास पड़ोस के गाँव को लूट पाट जा सकते थे। इन्होंने समझा कि अंग्रेज़ धेशा से निकाल दिशे सत्य फिर हम जो चाहेंगे किया करेंगे। ६... एक बहुत से सिपाहियों ने गनर मचा दिया और जिन हाकिमों की आशा मानने के लिये उन्हों ने कसम खाई थी उन्हीं से लड़ने लगे। उन्होंने अपने संग्रजी अफसरों को होली मार दी और अंग्रेज़ स्त्री पुरुष या जो मिला उसे मार डाला मानो वह पागल हो रहे थे और मुगलों को राजधानी दिल्ली को चले गये। यहाँ मुगल वंश का एक राजकुमार रहता शालिसके साथ अंग्रेजों ने बहुत अच्छा वर्ताव किया था। यह इन सर जान लारेन्स बिगड़े सिपाहियों का नायक बन गया और अपने को हिन्दुस्तान का बादशाह कहने लगा। ॐ---पर भारत के और भागों के हिन्दुस्थानी सिपाही इन वागियों मिले। वह बोले कि हम ने अपने अफसरों का नमक खाया है हम इन को न मारेंगे। इन का अभिप्राय यह था कि हम ने अपने अफसरों की आज्ञा मानने की