पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२५८

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( २५० ) NACE की है और हल्द इस के विरुद्ध न करगे। थोड़े ही दिन पहले सिक्ख मंग्रेजों के कट्टर बैरी थे और उन से बड़ी धीरता से लड़े थे; एर अन्य उनका देश ले लिया गया और एक बड़े अच्छे अफसर सर जान लारेन्स के शासन में कर दिया गया तब उन्हों ले जाना कि अंग्रेजी राज कसा अंधा होता है और जो सुख उन को अब मिलता है वह कभी अपने देश के राजाओं के राज में न मिला था। वह अंग्रेजों के साथ रहे और उन की ओर से ऐसी वीरता से लड़े जैसे कि पहले वह उन्हीं । 4-अंग्रेजी सेना कल- कस्ता मद्रास और बम्बई से जेनरल हैवलाक। दिल्ली को चली। अंग्रेजों ने बागियों के सब नगर ले लिये और दो तील महीना पीछे दिल्ली भी सर हो गई। जनरल हैंवलाक ने माना साहब को परास्त किया। वह बन में भाग गया और आज तक उसका पता नहीं है। बरस दो बरस में चारों ओर शान्ति हो गई।