पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चले गये। यहां सात अरल तक यही विचार करते रहे कि जो दुल्ल, पाय और संताप संसार में फैला है उससे बचने का उपाय न हो तो उसके घटने ही का कोई मम निकले। अन्त को उनने लम लिया कि हमने सुख का माग ...हेशा निक्षय करके वह वन से निकल साये और पैताली पर तक नये प्रचार किया। राजकुमारपन देखाने का कोई प्रयोजन न रह गया था, इस से उनने अपना नाम बदल कर बुद्ध रख बुद्धदेव । लिया जिसका अर्थ जगा हुआ या बुद्धिमान् है। उन का धर्म बौद्धमत कहलाता है। उन के जीते जी लाखों भारतवासी उनके मत में आ गये और उनके पीछे छ. सौ बरस तक इस देश का प्रधान धर्म बौद्धमत ही धा। उनके मरने पर सैकड़ों बरस तक उन के मतवाले उन को देवता