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मानकर पूजते थे और उन की बहुत सी मूर्तियां स्थापित की गई। हमने ऐसी हो मुर्ति का एक चित्र छाप दिया है।

७—बुद्ध जी बड़े कारुणिक थे। उन्होंने यह सिखाया कि जितने जीव जन्तु हैं सन पर दया करना हमारा धर्म है और उनको दुःख देना पाप है। उनका यह वचन है कि सब मनुष्य स्वतन्त्र और सब बराबर हैं और यदि लोग सच बोल, पाप न कर, शुद्ध आचरण रखे, तो नीच से नीच बड़े से बड़े के बराबर हो जायं।

५—विक्रमादित्य और उनका सिंहासन।

१-हम तुमको बता चुके कि बौद्धमत हिन्दुस्तान का छ: सौ बरस तक प्रधान धर्म था। इसके पोछे हिन्दू-धर्म के एक नये रूप ने उसे धीरे धीरे यहां से निकाल दिया। बुद्ध के उपदेशों के माननेवाले घटते गये और ब्राह्मणों के धर्म पर बसनेवाले बढ़ते रहे। धीरे धीरे चार सौ बरस में यहाँ बौद्धमत का कोई न रह गया।

२—इस चार सौ बरस के समय को—जब नये रूप का हिन्दूधर्म धीरे धीरे बौद्धधर्म की जगह स्थापित हुआ था, "नया हिन्दूकाल" कहते हैं। इसका आरम्भ आज से १९०० बरस पहिले हुआ था। इस समय में बहुतेरे हिन्दू राजा हुए। इन में विक्रम सब से प्रसिद्ध हो गये हैं।