पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दूनका पूरा नाम विक्रमादित्य था और इन्हें किमार्क या विकरमाजीत भी कहते हैं। यह अपने समय के बड़े वीर हो गये हैं। उनके बारे में सैकड़ों कहानियाँ प्रसिद्ध हैं और इनको एक एक बच्चा जानता है क्योंकि ये कहानियाँ बभाषाओं में लिखी गई हैं। ३---विक्रम को हुप इतना समय बीत गया कि अब उनका ठीक समय निश्चय करना कठिन है। घडू इतने प्रसिद्ध हुए कि उनके पीछे कितने राजाओं ने अपना नाम निकार दिल रख लिया। कई विक्रम हुए और उनमें से कोई कोई बड़े प्रसिद्ध राजा थे। उनकी कीर्तियों की कहानियाँ पहिले विक्रम की कीर्तियों के साथ ऐसी मिल गई हैं कि अब इन में भेद करना कठिन हो गया है। पर विद्वानों का यह मत हैं कि वह विक्रमादित्य पन्द्रह सौ बरस पहिले हुए थे। उनका उपनाम विक्रमादित्य था और उनका मुख्या नाम चन्द्रगुप्त द्वितीय था। वह गुप्त वंश के सम्राटों में ला से बड़े थे। गुप्त वंश के राजा कई सौ बरस तक बिन्ध्याचल के उत्तर हिन्दुस्तान में राज करते थे। ४-हम तुमको चन्द्रगुप्त का एक चित्र दिखाते हैं यह चित्र एक सिक्के पर है जो उन्होंने चलाया था। यह सिक्का थोड़े दिन हुए धरती में गड़ा मिला था। उनके दाहिने हाथ में एक बड़ा भारी धनुष हैं जिसको यही झुका सकते थे और बायें हाथ में बड़ा सा बाण है मालवा ।