पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/३१

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कर दिया और ऐसी बुद्धिमानी से झूठे को झूठा और सच्चे को सध्या बतलाया जैसे कोई बुद्धिमान् बुड्डा आदमी न्याय करता है और कुछ गांववाले जो पास खड़े थे अड़ा अचरज मानने लगे। बलड़ियों को यह खेल बहुत अच्छा लगा और नित एक नये लड़के को हाकिम बनाने पर यह लड़का भी उस (हे पर बैठ कर बुद्धिमानों की सी बात करता था और न्याय में नचूकता था। -यह बात दूर दूर तक फैली और सयाले लोग भी बलदिये हाकिम के पास अपने मुकदमें लेकर आने लगे। जो लड़का दूहे पर बैठ कर हाकिम बनता वही बुद्धिमान हो आता था और सदा न्याय करता था। यह बात उस सभा के राजा के कान में पड़ी। उसने अपनी सभा के विद्वानों से पूछा कि यह क्या बात है। एक बुद्धिमान बुड्डा सरदार बोला, “जहाँ पन लगा है वहाँ पहले विक्रम की राजधानी थी और उनका सिंहासन उसी बूढे के नीचे गड़ा आना पड़ता है। बलदिया लड़का बोलता है पर जो बात उसके मुँह से निकलती है उसमें सिंहासन के प्रभाव से विक्रम के विचार होते हैं।" १०-यह राजा भी बहुत ही अच्छा शासक था। इसकी भी इच्छा थी कि जैसा विक्रम पहले हो चुका है वैसा ही मैं भी बुद्धिमान् और न्यायकारी हो जाऊँ। वह बोला, “अच्छा जाओ खोद कर देखो, सिंहासन यहाँ गड़ा