पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/३४

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( २६ ) जिसका अर्थ है राजाओं के बेटे। कुछ राजयूत पुराने क्षत्रिय राजाओं के वंश में हैं जो आर्य थे और कुछ उन्न राजाओं की संतान है जो आगों के पीले हिन्दुस्थान में आये थे। इन राजाओं के साधी और परिवार हिन्दुमशान में बस गये थे और हज़ारों बरस से रहते हैं और हिन्दुधर्म मानते हैं। पुराले क्षत्रियों की भाँति धनकी एक जाति बन गई है जो और हिन्दुओं से भिन्न है और जिसका काम राज करना और लड़ना है-ज्यापार करना या हल चलाना नहीं। २-राजपूतों के कई परिवार या उपजातियाँ बनीं। एक उपजाति के सब लोग एक दूसरे के नातेदार थे। उपजाति का एक शासक होता था जिसे कहीं राजा कहीं राजा और कहीं राय कहते थे। अपने सरदार के लिये और अपनी उपजाति के किसी मनुष्य के लिये भी राजपूत प्राय देना अपना धर्म समझता था। पर ये उपजातियां आपस में भी लड़ा करती थीं। राजपूतों में एक बड़ा दोष यह था कि जब कभी दुसरी उपजाति या गोत्र के ऊपर बैरी चढ़ाई करता तो उस गोत्र की कमी सहायता न करते थे। यही कारण है कि जब हिन्दुस्थान के उत्तर से बैरी उतर आये तो बहुत से राजपूत राज नष्ट हो गये। कुछ नियम ऐसे थे जिन्हें तोड़ना राजपूत अधर्म मानते थे; पाहुने से अच्छा बर्ताव करना, अपनी बात पर दृढ़ रहना, बैरी को पीठ न दिखाना और अपना अपमान न सहना।